लंदन: ब्रिटेन में हुए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि देश में फिलहाल लगाए जा रहे ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या फाइजर/बायोएनटेक के टीके की पहली खुराक के बाद ही संक्रमण का खतरा करीब 65 प्रतिशत तक कम हो जाता है।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिस्टिक द्वारा किए गए दो अध्ययन हालांकि अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन दोनों ने अपने अध्ययन में पाया कि टीकों की दो में से एक खुराक ने भी बुजुर्गों, युवाओं और स्वस्थ्य लोगों सभी में संक्रमण के खतरे को काफी कम किया है। टीकों की दो खुराक लगती हैं, पहली खुराक के 28 दिनों बाद दूसरी खुराक दी जाती है।
लेकिन अनुसंधानकर्ताओं ने सतर्क किया है कि टीका लगवाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है और बिना लक्षणों के संक्रमित होने के बाद वह इस जानलेवा वायरस को फैला सकता है । इस कारण मास्क लगाने और दो गज की दूरी बनाए रखने की सख्त जरुरत है।
अनुसंधानकर्ताओं ने सितंबर 2020 से अप्रैल 2021 के बीच ब्रिटेन में 3,50,000 लोगों की जांच रिपोर्ट का विश्लेषण किया और पाया कि टीके की पहली खुराक के 21 दिनों बाद कोरोना वायरस संक्रमण में कमी आयी है। टीका लगने के बाद मानव शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने में 21 दिन का समय लगता है।
खतरा होता जाता है कम
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘टीके की पहली खुराक के बाद उन 21 दिनों में ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा 65 प्रतिशत तक कम हो गया है, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है।’’उन्होंने कहा, ‘‘टीका लगवाने वालों में दूसरी खुराक के बाद खतरा और भी कम (70 से 77 प्रतिशत तक) कम हो गया। इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या फाइजर/बायोएनटेक दोनों कंपनियों के टीकों से होने वाले लाभ में कोई फर्क है।’’
बड़े पैमाने पर समुदाय के सर्विलांस की मदद से किए गए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या फाइजर/बायोएनटेक टीके की एक खुराक या फाइजर/बायोएनटेक की दो खुराक कोविड-19 के खतरे को काफी हद तक कम करती हैं।