- सीसीबीएम ने अपनी रिपोर्ट में कोविशील्ड टीके पर कही अहम बात
- कोरोना के नए प्रकार पर प्रभावी है स्वदेशी टीका कोवाक्सिन-रिपोर्ट
- आशंका जताई जा रही थी कि नए प्रकार पर शायद कारगर न हों टीके
हैदराबाद : कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स पर भारतीय वैक्सीन के असर को लेकर हाल में कई रिपोर्टें आई हैं। भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक दिन पहले कहा कि स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन कोरोना के तथाकथित 'डबल म्यूटैंट' बी.1.617 पर कारगर है। अब हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्लुलर एंड मॉलेक्युलर बॉयलोजी (सीसीएमबी) ने गुरुवार को कहा कि कोविशील्ड टीका भी कोरोना के नए प्रकार से लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है।
दूसरी लहर के पीछे 'डबल म्यूटैंट'
देश में कोरोना की दूसरी एवं प्रचंड लहर के पीछे इस 'डबल म्यूटैंट' को जिम्मेदार बताया जा रहा है। रिपोर्टों में कहा गया है कि महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में इस 'डबल म्यूटैंट' के चलते ही कोरोना संक्रमण के मामलों में जबर्दस्त उछाल आया है। वैज्ञानिकों ने कुछ दिनों पहले आशंका जताई कि यह 'डबल म्यूटैंट' अथवा बी.1.617 शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में कामयाब हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कोरोना के इस नए प्रकार से दोनों वैक्सीन शायद सुरक्षा नहीं दे पाएं।
सीसीबीएम के निदेशक ने कहा-यह उत्साहजनक
हालांकि, आईसीएमआर की ओर से किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि कोवाक्सिन कोरोना के नए वैरिएंट से सुरक्षा प्रदान करता है। सीसीबीएम के निदेशक राकेश कुमार मिश्रा ने कहा, 'कोविशील्ड बी.1.617 के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।' मिश्रा ने अपने ट्वीट में कहा कि यह बहुत ही शुरुआती लेकिन बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम है।
महाराष्ट्र में ज्यादा मिला 'डबल म्यूटैंट'
स्वास्थ्य विशेषज्ञों कहना है कि 'डबल म्यूटैंट' एक गलत नाम है क्योंकि कोरोना का यह विशेष प्रकार दो नहीं बल्कि कम से कम 15 प्रकार अपने में रखता है। यह महाराष्ट्र के करीब 60 से 70 प्रतिशत मामलों में पाया गया है। जबकि तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के कोरोना मामलों में यह पांच प्रतिशत से भी कम है। आईसीएमआर ने अपने एक ट्वीट में कहा कि देश में निर्मित कोविड-19 का टीका ‘कोवैक्सीन’,सार्स-सीओवी-2 के कई प्रकारों को निष्प्रभावी करता है और दो बार अपना उत्परिवर्तन कर चुके वायरस के प्रकार के खिलाफ भी प्रभावी है।