- सरसों का तेल सनस्क्रीन की तरह काम करता है
- इससे डेंड्रफ और फंगल इफेक्शन की समस्या से निजात मिलता है
- इसकी हल्की मालिश से मसूड़े मजबूत बनते हैं
सरसों का तेल एमयूएफए, पीयूएफए, ओमेगा 3 और 6, विटामिन ई, खनिज और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। साथ ही इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ हृदय के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही ये कैंसर के खतरों को कम करता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन की रिपोर्ट से पता चला है कि नियमित आहार के हिस्से के रूप में अगर सरसों का तेल प्रयोग किया जाए तो ये कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम करके आपके दिल के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
ये मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाता है यही कारण है कि रिफाइंड की जगह सरसों के तेल के प्रयोग पर जोर ज्यादा दिया जाता है। पाचन से लेकर साइनस तक में सरसों के तेल का महत्व है। ऑर्गेनिक सरसों का तेल स्वादिष्ट, तीखा और पौष्टिकता लिए होता है। इसे खाना बनाने के साथ ही त्वचा और बालों पर मालिश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। नियमित रूप से खाना पकाने में सरसों का तेल इस्तेमाल, स्वस्थ शरीर ही नहीं स्वस्थ त्वचा और बाल भी देता है। तो आइए जानें और क्या-क्या गुण समेटे हुए है ये सरसों का तेल और किन रोगों में ये दवा की तरह काम करता है।
- गाढ़ा और विटामिन ई से भरा सरसों का तेल प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में माना जाता है। जब इसे शरीर पर लगाया जाता है तो ये पसीने की ग्रंथियों को उत्तेजित करके त्वचा के छिद्रों को खोलकर प्राकृतिक क्लींजर की तरह काम करता है। सरसों के तेल से मालिश करने से पिगमेंटेशन के दाग भी हल्के हो कर स्किन में मिल जाते हैं।
- सरसों का तेल आवश्यक फैटी एसिड के साथ सिर को मॉइश्श्चराइज भी करता है। रूसी और फंगल इंफेक्शन के साथ ये बाल गिरने की समस्या को भी कम करता है।
- सरसों का तेल एक जीवाणुरोधी के रूप में काम करता है। इसका प्रयोग आंतरिक और बाहरी दोनों रूपों में किया जाता है। आंतरिक रूप से यह कोलोन बैक्टिरिया से लड़ता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है जबकि बाहरी रूप से यह त्वचा के बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन से बचाता है।
- सरसों का तेल कोरोनरी हार्ट डिसीज के खतरे को कम करता है इसलिए जिन्हें दिल या कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो वे सरसों के तेल को ही इस्तेमाल करें।
- ठंड के दिनों में सरसों का तेल गर्माहट के लिए सबसे बेस्ट होता है। गुनगुने तेल की मसाज से रूखी-सूखी त्वचा भी नर्म, मुलायम और चिकनी हो जाती है। वहीं ये गठिया रोग और जोड़ो का दर्द भी बेहद कारगर है।
- सरसों के तेल में मौजूद थियामाइन, फोलेट और नियासिन जैसे विटामिन मेटाबाल्जिम को बढ़ाते हैं जिससे वेट लॉस होता है। ये तेल वसा की तरह शरीर पर जमता नहीं है।
- दांतों के दर्द में सरसों के तेल को नमक मिलाकर मसूड़ों पर हल्की मालिश करने भर से दांतों का दर्द दूर हो जाता है और मसूड़े और दांत दोनों ही मजबूत बनते हैं।
तो अब से घर से रिफाइंड को कर दें बॉय-बॉय और सरसों के तेल का प्रयोग करना शुरू करें। ये तेल खाएं भी और मालिश के लिए भी प्रयोग करें। शिशु की मालिश के लिए भी इस तेल का प्रयोग उत्तम होता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
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