नई दिल्ली: अपने आसपास मसक्युलर बॉडी वाले लोगों को देखकर कई युवाओं के मन में भी वैसा ही शरीर बनाने की चाह उठती है। आज के मॉडर्न जमाने में स्मार्ट दिखना हर युवा की इच्छा होती है। एक अच्छी बॉडी के पीछे सालों की मेहनत छुपी होती है लेकिन अक्सर हम उस कड़ी मेहनत को नजरअंदाज करते हुए स्टेरॉयड जैसे शॉर्ट-कट अपना लेते हैं। बिना यह जाने कि इसका इस्तेमाल आपको गंभीर रुप से बीमार कर सकता है और इससे जान तक भी जा सकती है।
हम आपको ऐनाबालिक स्टेरॉयड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आजकल युवाओं में एक सामान्य बात है।ऐनाबालिक स्टेरॉयड कृत्रिम हारमोन होते हैं जो नई मांसपेशियां बनाने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं और साथ ही मांसपेशियों की टूटफूट को रोकते हैं। कई खिलाड़ी इस चाह में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं कि इसे लेने से उनकी तेज दौड़ने की क्षमता, ज्यादा वजन उठाने, ऊंची कूद या मांसपेशियों की सहन शक्ति बेहतर होगी।
अमेरिका और भारत में बिना डॉक्टरी सलाह के स्टेरॉयड का इस्तेमाल गैरकानूनी है। खिलाड़ी इसका इस्तेमाल ताकत बढ़ाने के लिए करते हैं। फिलहाल, स्वास्थ्य के लिए इसके संभावित खतरों और सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर उपलब्ध होने की वजह से यह एक नियंत्रित मेडिसीन है। इसका कोई सबूत नहीं है कि यह एंड्रोजेनिक (ऐनाबालिक स्टेरॉयड) के रूप में काम करता है।
ऐनाबालिक स्टेरॉयड्स एक प्रकार की दवाइयां होती हैं, जिन्हें सेक्स हारमोन्स टेस्टोस्टेरोन की रासायनिक संरचना से मिलाकर बनाया जाता है। हमारे शरीर में टेस्टोस्टेरोन प्राकृतिक रूप से बनता है। ऐनाबालिक स्टेरॉयड्स शरीर में जाकर टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा देते हैं। इससे मांसपेशियों के उत्तक का आकार ज्यादा बड़ा और वह मजबूत होने लगती हैं। इस प्रक्रिया से ही आपकी बॉडी बनती है। टेस्टोस्टेरोन मस्क्युलोस्केलिटल सिस्टम पर जबरदस्त रूप से प्रभावशाली होता है। यह शरीर में लीन बॉडी मास को भी बढ़ाता है।
पुरुषों के हारमोन, मुख्यतः टेस्टोस्टेरोन आंशिक रूप से किशोरावस्था और जवानी में उनके शरीर में आने वाले बदलाव का जिम्मेदार होता है या यूं कहें कि किशोरावस्था और युवावस्था में पुरुषों में शरीरिक बदलाव टेस्टोस्टेरोन की वजह से आते हैं। पुरुषों के हारमोन में एंड्रोजेनिक (पुरुषों में आने वाले यौनिक बदलाव) और ऐनबालिक प्रभाव दोनों ही होते हैं।पहले और दूसरे चरण में एंड्रोजेनिक प्रभाव की वजह से पुरुषों की यौनिक विशेषताओं में बदलाव आते हैं। इसमें उनके लिंग और वीर्यकोष का आकार बढ़ा होता है। साथ ही आवाज में बदलाव, चेहरे, बगलों और गुप्तांगों के आसपास की जगह पर बाल आते हैं। एंड्रोजेन्स हारमोन पर ऐनाबालिक प्रभाव पड़ने से पुरुषों की मांसपेशियों, हड्डियों और लाल रक्त कोशिकाओं का विकास तेजी से होता है।
यहां एंड्रोजेन हारमोन को आपके लिए समझना बेहद जरूरी है। यह एक प्राकृतिक या कृत्रिम पुरुष हारमोन होता है जो पुरुषों के चेहरे और गुप्तांगो पर बाल आने या उनकी आवाज में आने वाले बदलाव का कारक होता है। कॉर्टिसोल हारमोन के प्रभाव को भी रोक देता है जो एक्सरसाइज करते वक्त मांसपेशियों में उत्तकों की होने वाली टूटफूट के लिए जिम्मेदार होता है। इससे उनकी रिकवरी तेजी से होती है। कोर्टिसोल से जुड़े हुए हारमोन का स्राव एड्रिनेलिन ग्रंथि की बाहरी परत से होता है। कोर्टिसोल की वजह से प्रोटीन की टूटफूट होती है और एक्सरसाइज के वक्त प्रोटीन का उर्जा के रूप में इस्तेमाल बढ़ता है और उत्तकों में होने वाली टूटफूट से पैदा हुई जलन को कम करता है।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि इसका फायद जब तक रहता है तब तक एथलीट इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस्तेमाल बंद होने पर यह उल्टा प्रभाव दिखाता है। एथलीटों के शरीर में असामान्य मात्रा में हार्मोन होने की वजह से उनका शरीर अपने आपको इसके अनुरूप ढाल लेता है। ऐनाबालिक स्टेरॉयड का गलत इस्तेमाल करने से आपको घातक यहां तक की स्थाई रूप से स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती हैं। इसके इस्तेमाल करने से आपको गुर्दों से जुड़ी हुई समस्या हो सकती है। कई बार यह आपके गुर्दों को खराब भी कर देते हैं।
स्टेरॉयड का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव आपके लिवर पर पड़ता है। यदि आप इसे मौखिक रूप से लेते हैं, तो यह आपके लिवर से होते हुए गुजरता है। इस प्रक्रिया के दौरान लिवर को भारी नुकसान होता है। कई बार लिवर खराब होने के साथ-साथ इसमें ट्यूमर तक हो जाता है। स्टेरॉयड आपके दिल के आकार को बड़ा कर देता है। इसके अलावा यह रक्त के प्रभाव पर भी असर डालता है। इस दौरान आपको हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा यह ब्लड कोलेस्ट्रोल में बदलाव भी लाता है। इसकी वजह से युवाओं में तक दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इसके इस्तेमाल बिना किसी जरूरत और बिना किसी जानकार की देखरेख में नहीं करना चाहिए।