- वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण
- कोविशील्ड के दो डोज के बीच ज्यादा अंतर से एंटीबॉडी का निर्माण ज्यादा
- स्टेरॉयड लेने वालों में एंटीबॉडीज कम या नहीं बनी
कोरोना वायरस के सामना करने के लिए जरूरी है कि आपके शरीर में हो एंटीबॉडी हो। अब यह एंटीबॉडी दो तरीकों से बन रही है। अगर कोई शख्स कोरोना संक्रमित हो चुका है तो उसकी शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण प्राकृतिक तौर पर हो रहा है। इसके साथ ही एंटीबॉडी निर्माण के लिए वैक्सीन की मदद ली जा रही है। अब ऐसे में सवाल यह है कि वैक्सीन लगने के कितने दिन के बाद एंटीबॉडी का निर्माण हो रहा है। इस संबंध में कुछ खास जानकारी सामने आई है।
वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद एंटीबॉडीज का निर्माण
देश में इस समय भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड इस्तेमाल में लाई जा रही है। ज्यादातर लोगों की शिकायत है कि वैक्सीन लेने के बाद भी उन्हें कोरोना संक्रमण का सामना करना पड़ा। इस तरह की खबरों के बीच कोवैक्सीन के संबंध में जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक पहला डोज लगने के 28 दिन बाद से एंटीबॉडी बनना शुरू हो रहा है। इसका अर्थ यह है कि पहला डोज जिस दिन लगा उससे लेकर आने वाले 28 दिन तक खतरा मौजूद है।
स्टेरॉयड लेने वालों में एंटीबॉडी कम या नहीं
एसएन मेडिकल कॉलेज ऑगरा की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ नीतू चौहान का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन डोज लगाए जाने के 21 से 28 दिन बाद एंटीबॉडी जांच कराई गई और पाया गया कि अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी बनी है। इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज के बीच ज्यादा अंतर होने से एंटीबॉडीज का ज्यादा निर्माण हो रहा है। इसके अलाव जिन स्वास्थ्यकर्मियों में एंटीबॉडी कम बनी या नहीं बनी उसके लिए स्टेरॉयड जिम्मेदार है। इसका अर्थ यह है कि स्टेरॉयड लेने वालों में एंटीबॉडीज नहीं बन रही है।
एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा के 80 सैंपल का परीक्षण
एसएन मेडिकल कालेज आगरा के करीब 80 स्वास्थ्यकर्मियों के सैंपल जांच के लिए एएमयू भेजे गए थे। 90 फीसद सैंपल में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिले थे जबकि 40 फीसद लोगों में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज मिले।