- सिंगल यूज मास्क व इस्तेमाल पीपीई किट का सुरक्षित डिस्पोजल बना बड़ी समस्या
- पीपीई किट का मैटिरियल ऐसा होता है जिसके निपटारे में खासा समय लगता है
- खराब हो चुके मास्क दुनियाभर में जमीन, समुद्र व नदियों के लिए खतरा बन गए हैं
Used PPE Kit & Mask : दुनिया भर में कोरोना महामारी से जूझने में पीपीई किट (PPE Kit), मास्क (Mask) और सैनिटाइजर का खासा उपयोग है लेकिन दिक्कत अब इन यूज्ड या इस्तेमाल किए पीपीई किट आदि के डिस्पोजल में पेश आ रही है, वैसे तो दुनियाभर की सरकारों ने कोरोना की वजह से बनने वाले मेडिकल वेस्ट (Medical Waste) को डिस्पोज करने की गाइडलाइंस तैयार की हैं, एक रिसर्च के मुताबिक साल 2022 तक देश में 775 टन से ज्यादा मेडिकल वेस्ट निकलेगा जिसका निपटारा भी बड़ी चुनौती होगा।
अगर कहा जाए कि कोरोना महामारी पर्यावरण के लिए प्रकृति के लिए भी बड़ा खतरा बन गई है तो गलत ना होगा इससे बचाव के उपायों में सिंगल यूज मास्क व पीपीई किट सबसे अहम हैं। इनका करोड़ों की संख्या में रोज इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इनके सुरक्षित ढंग से नष्ट करने की कोई रूपरेखा नहीं बनी है। अस्पतालों, एम्बुलेंस, एयरपोर्ट और यहां तक कि श्मशान घाटों तक पर खुले में फेंकी गई पीपीई किट के बारे में डॉक्टरों का साफ कहना है कि ऐसा करके हम खुद को बचा नहीं रहे हैं, बल्कि अपने साथ ही दूसरों को भी मुश्किल में डालने का काम कर रहे हैं।
प्लास्टिक और बायोमेडिकल कचरे का संकट कोविड के हर मामले के साथ गहराता जा रहा है जब लाखों लोग फेस शील्ड, सर्जिकल मास्क, दस्ताने और पीपीई सूट इस्तेमाल कर उन्हें फेंक रहे हैं। खराब हो चुके मास्क दुनियाभर में जमीन, समुद्र व नदियों के लिए खतरा बन गए हैं इन्हें मेडिकल वेस्ट के रूप में नष्ट करने की बजाए इधर-उधर फेंका जा रहा है।