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Asthma symptoms in Adults: सीने में जकड़न और बार बार सांस फूलना, अस्थमा के इन 6 लक्षणों को ना करें इग्नोर

Updated Dec 07, 2021 | 10:59 IST

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है, यह बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी उम्र के लोगों को अपने चपेट में ले सकती है। इस दौरान सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।

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bronchial asthma symptoms in adults (Pic : iStock)
मुख्य बातें
  • सांस फूलना अस्थमा के पहले लक्षण में से एक है।
  • सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ और कफ अस्थमा अटैक का मुख्य लक्षण है।
  • नेब्युलाइजर और इनहेलर की मदद से अस्थमा के दौरे को आसानी से रोका जा सकता है।

जब आप बिना वेंटिलेशन के किसी छोटी जगह में फंस जाते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ और घबराहट आपको ऐसा महसूस कराती है कि बस अब आपकी जान निकलने वाली है। खैर यह अस्थमा के रोगियों को होने वाली परेशानियों का आधा भी नहीं है।

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है, यह बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी उम्र के लोगों को अपने चपेट में ले सकती है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इस दौरान सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। तथा स्थिति गंभीर होने पर अटैक आने का भी खतरा होता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं क‍ि अस्थमा अटैक के 6 लक्षण क्या हैं।

अस्थमा अटैक क्या होता है?

मरीज में जब अस्थमा के लक्षण बढ़ने लगते हैं तो अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान सांस की नली में सूजन आ जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसे में वायु प्रदूषण, धुआं और जुकाम आदि के कारण फेफड़ों की नलियां और मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली के आंतरिक चिकित्सा निदेशक डॉ. रोमेल टिक्कू ने बताया कि नेब्युलाइजर और इनहेलर की मदद से अस्थमा के दौरे को आसानी से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि केवल गंभीर रूप से पीड़ित अस्थमा के रोगियों को ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।

डॉ रोमेल के अनुसार अस्थमा अटैक का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है जो दिल संबंधी अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं या फिर क्रॉनिक अस्थमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस से ग्रस्त हैं और धूम्रपान करने वाले हैं। अन्य अस्थमा के मरीजों को साल में एक दो बार इसका अनुभव हो सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं अस्थमा अटैक के 6 सामान्य लक्षण क्या हैं।

सांस फूलना

डॉ. टिक्को के अनुसार सांस फूलना अस्थमा के पहले लक्षण में से एक है। इस दौरान सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीडन नहीं पहुंच पाता। ऐसे में अस्थमा रोगियों को अपने पास हमेशा इन्हेलर रखने की हिदायत दी जाती है ताकि स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सके।

घरघराहट

अस्थमा का दौरा आने पर फेफड़ो की नलियों और मांसपेशियों में सिकुड़न आ जाती है। जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और सांस लेते समय सीटी घरघराहट की आवाज आती है। इस दौरान आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए और स्थिति भयावह होने से पहले अस्पताल में भर्ती हो जाएं।

कफ

धूल, धुंध, धुआं और वायु प्रदूषण अस्थमा अटैक को ट्रिगर करता है। जब ये छोटे छोटे कण वायुमार्ग में प्रवेश करते हैं तो ये जलन और वायुमार्ग में सूजन का कारण बनता है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है तथा स्थिति गंभीर होने पर अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार लगातार खांसी आना अस्थमा का संकेत हो सकता है। लगातार खांसी आने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।

सीने में जकड़न

सीने में जकड़न या दर्द अस्थमा के सामान्य लक्षणों में से एक है। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ना मिलने पर सीने में जकड़न होने लगती है और व्यक्ति को असहज महसूस होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ और कफ अस्थमा अटैक का मुख्य लक्षण है।

लगातार सूखी खांसी आना

अक्सर लोगों को सर्दी जुकाम या फिर ब्रोंकाइटिस में कफ या सूखी खांसी आती है, लेकिन ज्यादा खांसी आना अस्थमा का भी संकेत हो सकता है। इस दौरान हंसते या लेटते समय खांसी और भी बढ़ जाती है, यह अस्थमा अटैक का लक्षण हो सकता है।

तेज तेज सांस लेना

सांस फूलना या तेज तेज सांस लेना भी अस्थमा का लक्षण माना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वयस्कों में सांस लेने की सामान्य दर 12 से 20 प्रति मिनट होती है। अगर आप इससे तेज सांस ले रहे हैं तो आपको हाइपरवेंटिलेशन हो सकता है।

इससे कैसे बचें

अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए नेब्युलाइजर और इनहेलर सबसे अच्छा तरीका है। इसकी मदद से आप स्थिति को गंभीर होने से रोक सकते हैं। तथा सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को सर्दी के मौसम में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि वायरल से संक्रमित होने के कारण अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है और निमोनिया से ग्रस्त हो सकते हैं, यह स्थिति को और भी गंभीर बना देती है। इस स्थिति में यदि व्यक्ति का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो वह अपनी जान भी गंवा सकता है।