- न्यूट्रिएंट्स और मिनरल समेत कई पोषक तत्वों का खान होता है दूध
- पाश्चराइज्ड दूध को उबालने की जरूरत नहीं
- दूध को उबालने से कैसिइन और व्हे नाम के प्रोटींज हो जाते हैं कम
शाकाहारी व्यक्ति और मांसाहारी व्यक्ति दोनों के लिए दूध आवश्यक है। दूध एक ऐसा पदार्थ है जो अधिकतर घरों में पाया जाता है, ना ही सिर्फ खाने पीने की चीजों में बल्कि दूध का इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए भी किया जाता है। बच्चे हों या बूढ़े सब के लिए दूध बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अंदर कई न्यूट्रिएंट्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। दूध पीने से हमारे शरीर में कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिंस, मिनरल्स और फैट की पूर्ति होती है।
दूध पीने से हमारा वजन संतुलित होता है और यह हमारे हड्डियों को मजबूत बनाता है। दुकान में जो दूध पैकेट में बिकते हैं वह पाश्चराइज्ड दूध होते हैं जिन्हें उबालने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कच्चे दूध को उबालना आवश्यक है। इस लेख को पढ़िए और जानिए कि कच्चे दूध को क्यों उबाला जाता है और दूध को उबालने से क्या होता है?
क्या उबला हुआ दूध लोगों के लिए हेल्दी है?
वैज्ञानिक बताते हैं कि कच्चे दूध को उबालना जरूरी होता है क्योंकि कच्चे दूध को उबालने से उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। कच्चे दूध के अंदर मौजूद बैक्टीरिया वीक इम्यूनिटी वाले इंसान, प्रेग्नेंट औरत और बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि पाश्चराइज्ड दूध को उबालना जरूरी नहीं होता है क्योंकि पाश्चराइज्ड दूध पहले से ही बैक्टीरिया रहित होते हैं। दूध को उबालना लोगों के लिए हानिकारक नहीं है, अगर जरूरत पड़े तो आप दूध को वापस उबाल सकते हैं लेकिन कोशिश कीजिए कि आप उबला हुआ दूध 2 दिन के अंदर पी कर खत्म कर दें
कच्चे दूध को उबालने की आवश्यकता क्या है?
कच्चा दूध पीने से बच्चों के अंदर अस्थमा, एक्जिमा और एलर्जी होने के रिस्क कम हो जाते हैं। कच्चा दूध न्यूट्रीशन से भरपूर रहता है लेकिन उसके अंदर हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं जो गंभीर बीमारियों को बुलावा दे सकते हैं। इसलिए कच्चे दूध को उबालना आवश्यक होता है। कच्चे दूध को निकालते समय उसमें बैक्टीरिया नहीं होता है लेकिन जब हम उसे किसी कंटेनर में स्टोर करते हैं या ट्रांसफर करते हैं तो उसमें बैक्टीरिया हमला कर देते हैं। यह बैक्टीरिया जब किसी इंसान के अंदर जाते हैं तब नुकसानदेह बीमारियों का कारण बनते हैं। कोई नहीं चाहेगा कि उन्हें कोई गंभीर समस्या हो इसीलिए यह कहा जाता है कि कच्चे दूध को उबालना जरूरी है।
क्या पाश्चराइज्ड दूध को उबालना जरूरी है?
शहरों में कच्चा दूध मिलना मुश्किल है इसीलिए लोग पाश्चराइज्ड दूध को दुकानों से खरीदना या मंगवाना उचित समझते हैं। पाश्चराइज्ड दूध पहले से ही 71.7 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 15 सेकंड के लिए उबल कर आता है जिससे हानिकारक रोगजनक मर जाते हैं। इसीलिए पाश्चराइज्ड दूध को उबालना जरूरी नहीं है लेकिन हो सकता है उबालने से उसके अंदर कुछ हेल्थ बेनिफिट बढ़ जाएं।
उबले हुए दूध के क्या फायदे हैं?
- मिल्क प्रोटीन इनटोलरेंस- दूध उबालने से उसके अंदर मौजूद प्रोटीन और लैक्टोज में बदलाव आता है जिसके वजह से प्रोटीन असहिष्णु लोग आसानी से दूध पी सकते हैं। एक शोध के अनुसार यह पता लगाया गया है कि दूध उबालने से 364 में से 23 प्रोटीन खत्म हो जाते हैं।
- लैक्टोज इनटोलरेंस- ठीक प्रोटीन की तरह दूध में पाए जाने वाले लैक्टोज के कंटेंट में भी बदलाव आता है जिससे लैक्टोज इनटोलरेंट लोग उस दूध को आसानी से पी लेते हैं। उबालने के वजह से लैक्टोज कई प्रकार के एसिड और लैक्ट्यूलोज में बदल जाता है जिसे इंसान का शरीर सोख नहीं पाता है।
- लाभदायक फैट- उबले हुए दूध के अंदर छोटे और मध्यम चेन मौजूद रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। छोटे चेन वाले फैटी एसिड हमारे आंतों के सेल को बढ़ाते हैं और हमारे आंतों को स्वस्थ रखने के साथ कोलोन कैंसर के रिस्क को भी कम करते हैं। दूसरी तरफ मध्यम चेन सैचुरेटेड ओर अनसैचुरेटेड फैटी एसिड के रूप पर मौजूद रहते हैं जो हमारे वजन को घटाने के साथ हमारे आंतों को सुरक्षित रखते हैं।
- रोगजनकों को कम करता है- दूध उबालने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि रोगजनक कम हो जाते हैं। दूध उबालने से कॉन्टेमिनेशन कम होता है जिसके वजह से दूध से होने वाले बीमारियों का रिस्क भी कम हो जाता है।
दूध उबालने के नुकसान क्या है?
जैसा कि हमने बताया दूध उबालने से विटामिन के कंटेंट में बदलाव आता है। बी विटामिन जैसे थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक एसिड, बी6 और बी1 दूध उबालने से कम हो जाते हैं। वैसे तो बी विटामिन के लिए दूध प्रायमरी सोर्स नहीं है लेकिन राइबोफ्लेविन के लिए दूध अच्छा स्रोत माना जाता है जो बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। इसीलिए दूध अगर आपके लिए प्रोटीन का प्रायमरी सोर्स है तो उसे उबालने से प्रोटींस में कमी आ सकती है।
उबालने के कारण दूध का स्वाद और रंग बदल जाता है ऐसा मेलार्ड रिएक्शन की वजह से होता है। मेलार्ड रिएक्शन एक ऐसा रिएक्शन है जो अमीनो एसिड और रिड्यूसिंग शुगर के बीच में होता है जिसके वजह से तले हुए खाद्य पदार्थों को विशेष स्वाद मिलता है।
क्या दूध उबालने से उसके न्यूट्रीशनल वैल्यू में फर्क आता है?
कुछ शोध के अनुसार यह पता चला है कि पाश्चराइजेशन तापमान दूध के न्यूट्रिएंट के मात्रा में बदलाव नहीं करता है लेकिन 135-150 डिग्री सेल्सियस के तापमान में दूध को पाश्चराइज करने से उसके न्यूट्रीशन के मात्रा में बदलाव आ जाता है। दूध को उबालने के कारण कैसिइन और व्हे नाम के प्रोटीन और फैट में कमी आती है।
दूध को उबालने का सही तरीका
उबालने के कुछ देर बाद ही दूध को वापस उबालने से उसके पोषक तत्वों में बदलाव आ सकता है। अगर आप दूध को उबाल रहे हैं तो थोड़े-थोड़े देर में दूध को हिलाते रहिए। दूध को हमेशा कम आंच पर उबालना या गर्म करना चाहिए अगर आप उसे ज्यादा तापमान पर उबालेंगे तो दूध पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अगर दूध उबल कर ठंडा हो गया है तो उसे बाहर देर तक मत छोड़िए और ठंडा होने के बाद उसे रेफ्रिजरेटर में रख दीजिए। ऐसा करने से आप दूध को लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकेंगे। हो सके तो दूध को माइक्रोवेव ओवन के बजाय चूल्हे पर उबालिए।