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कच्‍चा दूध पीने से आप बन सकते हैं गंभीर बीमारी ब्रूसेलोसिस के मरीज, जानें इसके फायदे और नुकसान

raw milk
Updated Jul 05, 2020 | 14:02 IST

कच्‍चा दूध कई गुणों और सेहत के लिए जरूरी विटामिंस से लबरेज होता है। मगर कुछ खास परिस्थितियों में यह दूध स्‍वाइन फ्लू जैसे लक्षणों वाली गंभीर बीमारी ब्रूसेलोसिस का मरीज बना सकता है। जानें महत्‍वपूर्ण बातें।

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कच्‍चा दूध

कच्‍चे दूध के कई फायदे हैं और इसके बारे में आपने भली भांति सुना होगा। मगर क्‍या आप जानते हैं कि अगर कच्‍चा दूध मवेशी के थन से निकालते समय पूरी साफ सफाई या स्‍वच्‍छता का ध्‍यान नहीं रखा जाए, तो ऐसे दूध का सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है? यहां हम आपको कच्‍चा दूध पूरी सावधानी से निकालकर उपयोग किए जाने पर इसके फायदे और नुकसान बताने जा रहे हैं।

ध्‍यान रहे कि प्राकृतिक तौर पर जो दूध हमें गाय, भैंस, बकरी या ऊंट आदि से प्राप्त होता है, वह पूरी तरह शुद्ध होता है। यह दूध कुछ खास स्थितियों में ही हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। इसकी प्रमुख वजह हैं:

  • पशु का बीमार होना
  • किसी भी कारण से दूध का पशु के मल के संपर्क में आ जाना
  • थनों के माध्यम से दूध निकालते समय किसी भी तरह की असावधानी बरती जाना।

कच्चे दूध से समस्याएं?

  • स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो कच्‍चा दूध पीने से किसी तरह की समस्‍या हमारी सेहत को नहीं होगी। इसमें ध्‍यान देना होगा कि जिस जानवर के थन से दूध लिया गया है, तो वह पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो या दूध निकालते समय हाइजीन का पूरा ख्‍याल रखा गया हो।
  • अगर सफाई का ध्‍यान नहीं दिया और कहीं चूक हुई तो दूध कीटाणुओं से दूषित हो सकता है या जानवरों के मल के संपर्क में आ सकता है। ऐसा होने पर दूध उपयोग करने वाले लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  • संक्रमित कच्चा दूध पीने से पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द, दस्‍त और उल्टियां होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर ये दिक्कतें बहुत अधिक होने लगें तो व्यक्ति की जान पर खतरा बन जाता है।
  • अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक संक्रमित दूध का सेवन कर ले तो उसे पैरालिसिस जैसी बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि ऐसा बहुत ही कम होता है, लेकिन इसकी आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

ब्रुसेलोसिस क्या है?

  • ब्रुसेलोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। यह बीमारी संक्रमित पशु का दूध पीने या मीट खाने से मनुष्य में फैलती है।
  • इस बीमारी से ग्रसित होने वाले इंसान को ठंड लगकर बुखार आता है
  • बहुत अधिक कमजोरी और थकान लगना -अचानक से चक्कर आकर बेहोश होना
  • पीठ में तेज दर्द होना
  • जोड़ों में दर्द तथा पेट और सिर में लगातार दर्द होना
  • भूख नहीं लगना
  • वजन में लगातार कमी आना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

कैसे इस बीमारी से बचे?

  • यह संभव नहीं कि हम दूध की शुद्धता और उसे निकालने की तकनीक पर नजर रख सकें क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग दूध बाजार से खरीदते हैं। ऐसी स्थिति में सेहत का ध्यान रखने के लिए सबसे जरूरी है कि दूध को पकाकर ही उपयोग में लाएं।
  • दूध को पकाने से उसमें मौजूद ज्यादातर वायरस और कीटाणु मर जाते हैं। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं दूध पकाने से उसकी गुणवत्ता कम हो जाती है। अगर दूध पूरी शुद्धता के साथ निकाला जाए तो कच्चा दूध पकाए गए दूध से कहीं अधिक पौष्टिक होता है।
  • दूध में बैक्टीरिया बढ़ने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि पकाने के बाद जब दूध ठंडा हो जाए तो आप इसे फ्रिज में रख दें। पोषक तत्वों का ध्यान रखते हुए दूध को दो दिन में खत्म कर लें। ज्यादा पुराना दूध पोषक तत्वों के मामले में बहुत अच्छा नहीं रह जाता है।