- प्रेग्नेंसी में वायरल इंफेक्शन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है
- जुलाई 2021 में सरकार की ओर से कहा गया था कि गर्भवती महिलाएं चाहें तो कोरोना का वैक्सीन ले सकती हैं
- जेस्टेशनल डायबिटीज वाली महिलाएं भी कुछ सावधानियों के साथ कोविड वैक्सीन ले सकती हैं
गर्भावस्था के दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण महिलाओं के स्वास्थ्य में गिरावट की वजह बन सकता है। कभी-कभी कोरोना वायरस का संक्रमण बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज के साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी जटिलताएं बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि गर्भवती महिलाओं के लिए कोविड-19 टीकाकरण के लाभ उसकी जटिलताओं की तुलना में अधिक हैं। लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स और फायदों को जानने के बाद ही महिलाओं को वैक्सीनेशन का विकल्प चुनने का निर्णय लेना चाहिए।
कुछ महीने पहले ही 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण शुरू हुआ। शुरुआत में, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं टीकाकरण के लिए पात्र नहीं थीं। एक महीने के अंदर, सरकार ने सलाह दी कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं आईजीजी(IgG) प्रॉडक्शन को प्रेरित करने के लिए वैक्सीन ले सकती हैं, जो बच्चों को स्तन के दूध के माध्यम से मिल सकता है।
हाल ही में, जुलाई 2021 में, सरकार ने ये घोषणा की कि यदि गर्भवती महिलाएं चाहती है तो उन्हें कोरोना वायरस की वैक्सीन दी जा सकती है। गर्भवती महिलाओं में टीकाकरण असामान्य नहीं है। यह सर्वविदित है कि ट्रांसप्लैसेंटल पैसेज के माध्यम से वैक्सीन द्वारा भ्रूण को पैसिव इम्युनिटी दी जा सकती है या बाई बर्थ इम्युनिटी विकसित की जा सकती है। ट्रांसप्लासेंटल पैसेज या प्लेसेंटा पैसेज से मैटरनल इंफेक्शन या वैक्सीनेशन के बाद फेटल/नियोनेटल सर्कुलेशन में सुरक्षात्मक एंटीबॉडी के प्रॉडक्शन के लिए प्रेरित करता है।
गर्भावधि के दौरान डायबिटीक गर्भवती महिलाओं को कब टीका लगवाना चाहिए?
वायरल कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में गर्भवती महिलाओं की उच्च मृत्यु दर को देखते हुए, भारत सरकार ने फैसला किया कि जो इच्छुक गर्भवती महिलाएं कोरोना वायरस के खिलाफ टीका लगवा सकती हैं। बहुत सी गर्भवती माताएं इस घोषणा से रोमांचित थीं।
प्रीडायबिटीज/जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिला गर्भावस्था के दौरान कभी भी कोरोना वायरस का टीका लगवा सकती है। फिर भी, दूसरी तिमाही के दौरान टीका लगवाना सबसे अच्छा है क्योंकि दूसरी तिमाही तक बच्चे के अंग विकसित हो जाते हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को कोरोना वायरस का टीका लगवाते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
जेस्टेशनल डायबिटीज वाली महिलाओं को वैक्सीनेशन से कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी जटिलताओं के डेवलप होने के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। टीकाकरण के लिए जाते समय, जेस्टेशनल डायबिटीज वाली गर्भवती महिलाओं को सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए, मास्क पहनना चाहिए और अपने हाथों को बार-बार सेनिटाइज करना चाहिए/धोना चाहिए। सामान्य कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करने के अलावा, इन महिलाओं को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :
- खाली पेट टीका न लगावाएं।
- टीकाकरण के ठीक पहले और कुछ दिनों तक बहुत अधिक कैफीनयुक्त पेय का सेवन न करें।
- वैक्सीन लेने के तुरंत बाद बहुत अधिक शारीरिक परिश्रम न करें।
- इंजेक्शन वाली जगह पर आइस पैक या गर्म चीज से सिंकाई न करें
लेखक : डॉ. संतोष के चौबे, एमडी, एफआरएसीपी (एंडोक्राइनोलॉजी), सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एंड डायबेटोलॉजिस्ट, सहारा हॉस्पिटल, लखनऊ
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नाऊ नवभारत इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है। आप स्वास्थ्य संबंधी कोई भी कदम उठाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।