- जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है
- भ्रांतियों से दूर रहें और बच्चे को काजल-पावडर जैसी चीजें न लगाएं
- 6 महीने से ऊपर हो चुके बच्चे को ठोस आहार खिलाएं
हर साल 14 नंवबर का दिन पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों के अधिकारों और शिक्षा सहित उनकी देखभाल के बारे में बातें की जाती है। बच्चे राष्ट्र को मजबूत बनाते हैं और देश को बदलने की छमता रखते हैं। इसलिये ये जरूरी है कि देश के इन भविष्य को प्यार दुलार के साथ सही देखभाल भी दी जाए।
अक्सर देखा जाता है कि बच्चे के जन्म से लेकर कई साल तक माता पिता कुछ जरूरी सवालों से गुजरते रहते हैं। यदि आप भी उनमें से हैं, तो लखनऊ के वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान के इन टिप्स का फायदा उठाना न भूलें....
जन्म के बाद नवजात को पिलाएं केवल मां का दूध
जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है। ऐसे में नवजात शिशु के लिये मां का दूध बेहद जरूरी माना जाता है। 6 महीने तक बच्चे के लिये मां का दूध ही संपूर्ण आहार है। बच्चे को ऊपर की चीजें देने से बचना चाहिये।
बच्चे की आंखों में न लगाएं सूरमा या काजल
भ्रांतियों से दूर रहें और बच्चे को काजल-पावडर जैसी चीजें न लगाएं। काजल के इस्तेमाल से नवजात की आंखों में पानी आ सकता है, खुजलाहट हो सकती है और यहां तक की एलर्जी भी हो सकती है। यहां तक कि उसकी नाभि और कान में भी तेल न डालें।
पिज्जा-बर्गर से बच्चे को रखें दूर
6 महीने से ऊपर हो चुके बच्चे को ठोस आहार खिलाएं। बाजार की चीजें जैसे चॉकलेट, पिज्जा-बर्गर और मैगी आदि जैसी हानिकारक चीजें न खिलाएं। बच्चे को घर का बना खाना ही खिलाएं।
ब्लड टेस्ट से जानें सेहत का हाल
बच्चे की खून की जांच जरूर करवाएं। यह जांच एनीमिया (खून की कमी) के लिये होती है। यदि बच्चे में खून की कमी है तो उसे आयरन जरूर दें। इसके अलावा पेट में कीड़े मारने की दवा भी जरूर पिलाएं।
बच्चों को टीवी-मोबाइल से रखें दूर
आज के हाई टेक जमाने में माता पिता बच्चों को मोबाइल, टेबलेट और टीवी के साथ ही बढ़ा करने लगे हैं। इसलिये बच्चा अगर टीवी देखता भी है तो उसे लिमिटिड टाइम दें, नहीं तो वह बाहर जा कर कभी नहीं खेलेगा। जितना हो सके उसे कुदरत के साथ जोड़ें।
बच्चे को सही समय पर लगवाएं वैक्सीन
बच्चों को भविष्य में गंभीर बीमारियां न हों इसके लिये उन्हें टाइम से वैक्सीन लगवाएं। अब तो सरकारी अस्पतालों में महंगी इंजेक्शन भी मुफ्त में मुहैया होने लगी है।
खुद से न दें एंटीबायोटिक्स
बच्चा अगर बीमार है तो उसका इलाज अपनी मर्जी से न करें। यदि बच्चे को वायरल हो गया है तो उसे बिना डॉक्टर से पूछे एंटीबयोटिक दवाएं न दें। सलाह देते हुए डॉ. सलमान बताते हैं कि तमाम तरह की दवाइयां दे कर माता-पिता खुद ही अपने बच्चे का इम्यून सिस्टम और कमजोर कर देते हैं।
एक बच्चे की दवा दूसरे को न दें
बच्चे को हमेशा उसके वजन के हिसाब से दवाई देनी चाहिये न कि उम्र को देखते हुए। घर में यदि दो बच्चे हैं तो एक बच्चे की दवा दूसरे बच्चे को कभी न दें।
बच्चे किसी भी उम्र के क्यों न हों, अगर शुरुआत से ही माता पिता उनकी सेहत का ध्यान रखें तो आने वाले समय में वह हर बीमारी से लड़ सकते हैं।