- ज्यादातर लोगों में वैक्सीन लगवाने से मौत का डर
- एम्स ने 63 लोगों की रिपोर्ट पर स्टडी की, मौत की आशंका को किया खारिज
- भारत में इस समय कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने अहम जानकारी में बताया कि इस समय देश में सिंगल डोज वैक्सीनेशन वालों की संख्या 17.2 करोड़ है जो अमेरिका से भी अधिक है। लेकिन देश के अलग अलग शहरों खासतौर से छोटे शहरों से खबर आती रहती है कि लोगो वैक्सीनेशन को लेकर घबरा रहे हैं, ज्यादातर लोगों को मानना है कि वैक्सीनेशन मौत की वजह बन रही है। हाल ही में गुरुग्राम में जहां कुछ वैक्सीनेशन सेंटर पर टीकों की कमी थी तो नूह में लोग टीका लगवाने से कतराते रहे। इन सबके बीच एम्स की तरफ से 63 लोगों पर स्टडी की गई और नतीजे में पाया गया कि किसी भी शख्स की मौत वैक्सीन लगवाने से नहीं हुई।
राहत वाली जानकारी
एम्स (इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक) की तरफ से इस संबंध में विस्तृत अध्ययन किया गया जो अप्रैल और मई के महीने में किए गए थे। अप्रैल और मई में अध्ययन में जिन वैक्सीनेटेड लोगों को शामिल किया गया था उन्हें थोड़ी बहुत दिक्कत के अलावा किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। बता दें कि अप्रैल से मई के बीच में ही कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत हुई थी।अप्रैल और मई के दौरान ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन पर की गई पहली स्टडी में पता चला कि वैक्सीन ले चुके कुछ लोगों में वायरल लोड बहुत हाई होने के बावजूद किसी की मौत नहीं हुई।
63 ब्रेकथ्रू इंफ्केशन मामले में अध्ययन
कुल 63 ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी की गई। 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी थी। और 27 लोगों को एक डोज दी गई थी। 10 मरीजों को कोविशील्ड तो 53 को कोवैक्सीन लगी थी। लेकिन किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। सबसे खास बात यह है कि जिस समय डेल्टा वैरिएंट पांव पसार चुका था उस समय जिन लोगों पर अध्ययन किया गया उसके नतीजे उत्साह देने वाले हैं। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि जिन लोगों ने पहला या दोनों डोज लिए थे। उन्हें बुखार जैसी परेशानी तो आई लेकिन किसी तरह की घातक हालात का सामना नहीं करना पड़ा।