- नए वेरिएंट की म्यूटेशन प्रोफाइल ने चिंता बढ़ाई है।
- स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन शामिल हैं।
- अब तक दुनिया भर में 99% से अधिक मामले डेल्टा वेरिएंट के कारण सामने आए हैं।
वॉशिंगटन : कोरोना वायरस का कहर बदस्तूर जारी है। डेल्टा के बाद अब एक नया वैरिएंट आने से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है।नया वैरिएंट को पहले बी.1.1.529 नाम दिया गया था। अब इसे ओमिक्रॉन कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को कहा है कि जहां नए ओमिक्रॉन कोविड स्ट्रेन के कारण दुनिया हाई अलर्ट पर है, वहीं डेल्टा वैरिएंट 99 फीसदी मामलों के साथ महामारी का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट की हालिया बढ़ोतरी को ट्रैक करने के लिए शोधकर्ता लगातार प्रयास कर रहे हैं, जो डेल्टा सहित अन्य वेरिएंट से भी खतरनाक बताया जा रहा है। नया वैरिएंट, जिसे B.1.1.529 के नाम से जाना जाता है, उसके दक्षिण अफ्रीका में कुछ मामले पाए गए हैं। WHO ने पिछले सप्ताह ही इस नए संक्रमण को ग्रीक शब्द ओमिक्रॉन नाम दिया है।
शोधकर्ताओं ने बोत्सवाना के जीनोम-सीक्वेंसिंग डेटा में बी.1.1.529 को पाया है। इस वैरिएंट को अधिक खतरनाक बताया जा रहा है। इसमें स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन शामिल हैं। SARS-CoV-2 प्रोटीन, जो मेजबान कोशिकाओं को पहचानता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का मुख्य लक्ष्य निर्धारित करता है।
ओमिक्रॉन में संक्रमण का खतरा काफी अधिक
पिछले हफ्ते, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने SARS-CoV-2 वायरस के लेटेस्ट वेरिएंट ओमिक्रॉन को एक चिंता का वैरिएंट (वैरिएंट ऑफ कंसर्न या वीओसी) के रूप में वगीर्कृत किया था, जिसका अर्थ है कि यह अधिक संक्रामक और खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बारे में पहली बार अफ्रीका में बोत्सवाना से पता चला था और यह तब से यूरोप के विभिन्न देशों में फैल गया है, जिसमें बेल्जियम, नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी शामिल हैं।
99 प्रतिशत से अधिक मामले डेल्टा वैरिएंट के कारण
WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को सीएनबीसी के स्क्वॉक बॉक्स एशिया पर अपने विचार रखते हुए कहा, हम जानते हैं कि इस समय, यह डेल्टा वैरिएंट है, जो दुनिया भर में महामारी का प्रमुख कारण है। दुनिया भर में 99 प्रतिशत से अधिक मामले डेल्टा वैरिएंट के कारण सामने आए हैं और अधिक मौतें टीकाकरण नहीं होने की वजह से हो रही हैं। स्वामीनाथन ने कहा, मुझे लगता है कि यह हमारी प्राथमिकता है, जबकि हम (ओमिक्रॉन) वैरिएंट के बारे में और जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं। ऐसे कई बदलाव डेल्टा और अल्फा जैसे वेरिएंट में पाए गए हैं, और ये बढ़ी हुई संक्रामकता और संक्रमण-अवरोधक एंटीबॉडी से बचने की क्षमता से जुड़े हैं।
25 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में क्वाजुलु-नेटाल विश्वविद्यालय में एक संक्रामक-रोग चिकित्सक रिचर्ड लेसेल्स ने कहा था, इस वेरिएंट के बारे में बहुत कुछ हमें भी समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा, म्यूटेशन प्रोफाइल ने हमारी चिंता बढ़ाई है, लेकिन अब हमें इस वैरिएंट के महत्व को समझने के लिए काम करने की जरूरत है।
ओमिक्रॉन व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैलता है
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओमिक्रॉन को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि बताया जा रहा है कि यह अपने रूप बदलता है। हालांकि WHO ने कहा है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह वैरिएंट कितना पारगम्य यानी फैलने की क्षमता रखता है और इस बात भी अभी कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या यह बीमारी की गंभीरता को बढ़ाएगा। WHO ने एक बयान में कहा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि डेल्टा सहित अन्य वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन अधिक पारगम्य (एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैलना) है। यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं है कि डेल्टा सहित अन्य वैरिएंट या प्रकारों के संक्रमण की तुलना में ओमिक्रॉन के साथ संक्रमण अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है।
दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जहां ओमिक्रॉन सबसे पहले पाया गया था। लेकिन यह ओमिक्रॉन के साथ विशिष्ट संक्रमण के परिणाम के बजाय, संक्रमित होने वाले लोगों की कुल संख्या में वृद्धि के कारण भी हो सकता है। स्वामीनाथन ने कहा कि वैरिएंट को समझने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं और अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित कर रहे हैं।
सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, स्वामीनाथन ने आगे कहा , हम यह जानना चाहते हैं कि क्या यह वैरिएंट अधिक संचरणीय (तेजी से फैलने वाला) है या नहीं, यहां तक कि डेल्टा से भी अधिक? हम जानना चाहेंगे कि क्या कोई भिन्न क्लिनिकल पैटर्न है, क्या यह कम गंभीर या फिर अधिक गंभीर है, जब यह बीमारी का कारण बनता है? उन्होंने कहा, तीसरी और बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या यह वैरिएंट प्राकृतिक संक्रमण के बाद या टीकों के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचने में सक्षम है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि वर्तमान में, यह मान लिया जाना चाहिए कि मौजूदा टीके कुछ तो सुरक्षा जरूर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर नए स्ट्रेन के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा नहीं है, तो कम से कम फिलहाल हमारे पास मौजूद वैक्सीन कुछ सुरक्षा तो जरूर प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा, यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि ऐसा कोई व्यक्ति जिसने अभी भी वैक्सीन नहीं ली है, या फिर जिसने केवल एक खुराक प्राप्त की है, उसे टीकाकरण का पूरा कोर्स करना चाहिए।