- देश में 15 साल या उससे अधिक उम्र के करीब 30 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं
- कोविड-19 से मरने वालों में दिल की बीमारी, कैंसर, सांस की बीमारी वाले मरीजों की संख्या अधिक
- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कोरोना का संक्रमण फेफड़ों पर डॉट्स बना देता है, जिससे उनमें ऑक्सीजन प्रवेश नहीं कर पाती
नयी दिल्ली। कोरोना संक्रमण के चलते दुनिया पर मंडराते मौत के साये के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि धूम्रपान करने वालों को यह बीमारी होने का जोखिम अधिक रहता है और बीमारी की चपेट में आने पर उन्हें सघन चिकित्सा और वेंटिलेटर की जरूरत भी धूम्रपान न करने वालों के मुकाबले कहीं अधिक होती है।
भारत में 30 करोड़ लोग करते हैं तंबाकू का सेवन
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 15 साल या उससे अधिक उम्र के करीब 30 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से लगभग 20 करोड़ लोग तंबाकू को गुटखा, खैनी, पान मसाला या पान के रूप में सीधे अपने मुंह में रख लेते हैं, जबकि दस करोड़ लोग ऐसे हैं जो सिगरेट, हुक्का या फिर सिगार में तंबाकू भरकर कश लगाते हैं और इसका धुआं अपने फेफड़ों में भर लेते हैं।
31 मई को मनाया जाता है एंटी टोबैको डे
दुनिया को तंबाकू के सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति सजग करने और इसके प्रयोग को हतोत्साहित करने के इरादे से विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वी के मोंगा ने बताया कि धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में मुंह से फेफड़ों तक को सुरक्षा देने वाली प्राकृतिक आंतरिक प्रणाली क्षतिग्रस्त हो जाती है और उनके फेफड़ों की हवा को साफ करने की क्षमता भी समय के साथ कम होती जाती है। ऐसे लोग सामान्य परिस्थितियों में भी लंबी सांस नहीं ले पाते हैं। ऐसे में जब ये लोग कोरोना के संपर्क में आते हैं तो इनपर बीमारी का असर अधिक होता है।
धूम्रपान करने वालों को वेंटिलेटर की जरूरत ज्यादा
इस बात पर सहमति जताते हुए कि धूम्रपान करने वालों को अन्य लोगों के मुकाबले सघन चिकित्सा और वेंटिलेटर की ज्यादा जरूरत होती है, डा. मोंगा ने कहा कि कोविड-19 मुख्यत: फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, हालांकि अब तक यह पता नहीं लग पाया कि यह बीमारी फेफड़ों को कैसे प्रभावित करती है।कुछ विशेषज्ञों का कहना है कोरोना का संक्रमण फेफड़ों पर डॉट्स बना देता है, जिससे उनमें ऑक्सीजन प्रवेश नहीं कर पाती और धूम्रपान के कारण पहले से कमजोर फेफड़े खून तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम नहीं कर पाते, जिससे मरीज की मौत हो जाती है।
नशा करने वालों पर कोरोना का खतरा अधिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि धूम्रपान और तंबाकू के बने अन्य उत्पादों का सेवन करने वालों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। यही नहीं कोविड-19 से मरने वालों में दिल की बीमारी, कैंसर, सांस की बीमारी अथवा मधुमेह के शिकार लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या धूम्रपान करने वालों की भी होती है।