- कोरोना से बचाव के लिए एंटीबॉडी की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- जानिए क्या है एंटीबॉडी
- जानें कोरोना वायरस से कैसे लड़ता है एंटीबॉडी
कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर में वैक्सीन बनाने की होड़ मची हुई है। लेकिन अभी तक किसी भी देश को सफलता हासिल नहीं हुई हैं। लेकिन अगर आप कुछ नियमों का पालन करें, तो खुद को संक्रमित होने से बचा सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक संक्रमण से बचने के लिए कई और चीजें भी हैं, जिसकी मदद से खुद को बचा सकते हैं। इनमें एंटीबॉडी की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। एंटीबॉडी के जरिए वायरस को शरीर में फैलने से रोकते हैं। आइए जानते हैं क्या है एंटीबॉडी और यह कैसे कोरोना जैसी बीमारी से लड़ता है।
क्या होता है एंटीबॉडी
एंटीबॉडी की मदद से वायरस के असर को खत्म कर सकते हैं। एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम करता है। दरअसर व्यक्ति जब किसी वायरस के संपर्क में आता हैं तो शरीर के ब्लड और टिश्यू में रहने वाली एंटीबॉडीज बनाने लगता है। यह एंटीबॉडीज प्रोटीन होते हैं, जो वायरस को शरीर में फैलने से रोकते हैं। कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन कई बार संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडीज बनने में वक्त लग जाता है। इससे बनने में एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है। वहीं इन दिनों कोरोना से बचने के लिए लोग इस बात पता लगाने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट करवा रहे हैं। टेस्ट के जरिए हम पता लगा सकते हैं कि शरीर इन्हें बना रहा है या नहीं। शरीर में एंटीबॉडी मौजूद है तो ऐसा हो सकता है कि आप कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुके हैं।
कोरोना वायरस से कैसे लड़ता है एंटीबॉडी
अगर व्यक्ति कोविड-19 के संपर्क में आ चुका है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं, जो वायरस से लड़ते हैं। कई बार इसे बनने में समय भी लग सकता है। कई ऐसे मरीज हैं जो कोरोना से ठीक होने के एक महीने बाद भी एंटीबॉडी नहीं बनता है। हालांकि कोरोना से ठीक होने चुके 100 मरीज में कम से कम 80 से 70 मरीजों में एंटीबॉडी बनते हैं, ज्यादातर यह ठीक होने के एक या दो हफ्ते के अंदर ही बन जाता है। वहीं कोरोना से ठीक हुए मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी काफी वक्त बाद बनता है, ऐसे लोगों के प्लाज्मा की गुणवत्ता कम बताई जाती है। ऐसे लोगों के प्लाज्मा का उपयोग कम किया जाता है।
जिन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती है उनके शरीर में एंटीबॉडी दो हफ्ते के अंदर बन जाती है और फिर यह सालों तक रहती है। ऐसे लोग प्लाज्मा आसानी से डोनेट कर सकते हैं। इसके अलावा वह चाहे तो डोनेट के 15 दिन बाद वह फिर डोनेट कर सकते हैं। एक बार एंटीबॉडी बन जाने के बाद उन्हें प्लाज्मा डोनेट करने में कोई खतरा नहीं है। इन दिनों मरीजों को प्लाज्मा की काफी जरूरत है। ऐसे में कोरोना से ठीक हुए मरीज प्लाज्मा डोनेट करने के बाद खुद स्वस्थ पाते हैं तो वह लगातार डोनेट कर सकते हैं। एक्सपर्ट की माने तो एंटीबॉडी शरीर को सुरक्षा प्रदान करेगी, लेकिन यह अब तक साफ नहीं कितने वक्त तक।