कोरोना वायरस की दूसरी लहर में लोगों में ऑक्सीजन की भारी कमी हुई। जिसके चलते इसकी मांग में भारी वृद्धि देखने को मिली। डॉ. अरविंद कुमार चेस्ट सर्जरी इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष, मेदांता फाउंडर तथा मैनेजिंग ट्रस्टी लंग केयर फाउंडेशन ने बताया कि कोविड-19 के 90 प्रतिशत मरीज फेफड़े में तकलीफ का अनुभव करते हैं लेकिन क्लिनिकल रूप में यह महत्वपूर्ण नहीं है। 10-12 प्रतिशत लोगों में निमोनिया विकसित हो जाता है, यह फेफड़े का संक्रमण होता है जिसमें फेफड़े की छोटी-छोटी हवा की जगहें, जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है, संक्रमित हो जाती हैं। कम अनुपात में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन के सहारे की जरूरत तब पड़ती है जब सांस लेने में कठिनाई गंभीर रूप ले लेती है।
सांस रोक कर रखने का अभ्यास (Breath Holding Exercise) एक ऐसी तकनीक है जो मरीज की ऑक्सीजन आवश्यकता को कम कर सकती है और उन्हें अपनी स्थिति की निगरानी करने में मदद दे सकती है।
कैसे सांस रोक कर रखने का अभ्यास मददगार है
डॉ. अरविंद का कहना है कि यह अभ्यास उन मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी है जिनमें हल्का लक्ष्ण है। यदि ऐसे मरीज सांस रोक कर रखने का अभ्यास करते हैं तो उन्हें पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता की संभावना कम रह जाती है। इस अभ्यास को मरीज की स्थिति देखने के लिए जांच के रूप में किया जा सकता है। यदि सांस रोक कर रखने के समय में कमी होने लगती है तो यह पूर्व चेतावनी का संकते है और मरीज को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दूसरी ओर, यदि मरीज सांस रोक कर रखने के समय में धीरे-धीरे वृद्धि करने में सक्षम होता है तो यह सकारात्मक संकेत है। अस्पताल में दाखिल मरीज और होम ऑक्सीजन पर डिस्चार्ज किए गए मरीज भी डॉक्टर की सलाह से इस अभ्यास को कर सकते हैं। इससे उनकी ऑक्सीजन आवश्यकता कम करने में मदद मिल सकती है।
स्वस्थ व्यक्ति भी सांस रोक कर रखने का अभ्यास कर सकते हैं। यह अभ्यास उन्हें अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
सांस रोक कर रखने का अभ्यास कैसे करें
- सीधा बैठें और अपने हाथों को जांघों पर रखें।
- अपना मुंह खोलें और सीने में जितना अधिक वायु भर सकते हैं भरें।
- अपने होठों को कस कर बंद कर लें।
- अपनी सांस को जितना अधिक समय तक रोक कर रख सकते हैं रोकें।
- जांचें कि आप कितने समय तक अपनी सांस रोक कर रख सकते हैं।
- मरीज एक घंटे में एक बार यह अभ्यास कर सकते हैं और धीरे-धीरे प्रयास करके सांस रोक कर रखने का समय बढ़ा सकते हैं। 25 सेकेंड और उससे अधिक समय तक सांस रोक कर रखने वाले व्यक्ति को सुरक्षित माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा जोर न लगे और इस प्रक्रिया में थकान न हो जाए।