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नवजात भी होते हैं हीट स्ट्रोक के शिकार, जानिए लक्षण और बचाव के उपाय

Updated May 15, 2019 | 07:59 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

गर्मी अपने चरम पर है। नवजात शिशुओं के लिए यह समय काफी संवेदनशीन होता है। गर्मी का बढ़ता ताप उनका शरीर सह नहीं पाता और वे हीट स्ट्रोक के शिकार हो जाते हैं। ऐसे समय में मां को कुछ विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

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तस्वीर साभार:&nbspGetty Images
Heat stroke in infants

नवजात शिशु अपने जीवन के पहले फेज में जब गर्मी के चपेट में आते हैं तो उनका शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता। उनका बॉयालोजिकल सिस्टम अभी विकसित हो रहा होता है। हाई टेंपरेचर न कवेल आंतरिक बल्कि बाह्य रूप से भी आपके बच्चे पर गंभीर प्रभाव डालता है।

जिसके कारण शिशु में हीट स्ट्रोक देखने को मिलता है। ऐसे में मां की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। मां को अपने शिशु के बदलते हर हाव-भाव व शरीरिक लक्षण पर नजर रखना होगा। तो आइए आज शिशुओं और बच्चों में हीट स्ट्रोक के लक्षण और उपाय को जानें।

ऐसे पहचाने हीट स्ट्रोक के लक्षण
क्योंकि शिशु यह बता नहीं सकता कि उसे प्यास लगी है उसके अंदर लक्षण पहचानना कठिन है लेकिन ध्यान मां अगर ध्यान दे तो उसके लक्षण आसानी से पहचाने जा सकेंगे। ये समान्य लक्षण हैं।

  • शिशु के होंठ सूखने लगेंगे।
  • शरीर में पानी की कमी के कारण उसका शरीर अकड़ने लगता है।
  • शिशु निढाल, थका सा नजर आएगा।
  • शिशु का बॉडी टेंपरेचर 102 डिग्री फेहरनहाइट से कम भी हो सकता है। उसकी त्वचा ठंडी और नम होने लगा सकती है।
  • शिशु के पेट में मरोड़ हो सकती है और वह अपनी टांगे बार बार मोड़ने लग सकता है।

यदि हीट स्ट्रोक की स्थिति बिगड़ने लगे, तो शिशु में दिखते हैं ये गंभीर लक्षण:

  • 103 डिग्री फेहरनहाइट या इससे अधिक बुखार होना।
  • स्किन पर अचानक से लाल, शुष्क और गर्म हो जाना।
  • शिशु की धड़कनें तेज चलने लगना।
  • शिशु में बेचैनी, सांस फूला आदि।
  • शिशु में मूर्छा सा नजर आना।
  • उल्टी

यदि शिशु को हो जाए हीट स्ट्रोक तो क्या करें

शिशु अगर छह महीने से छोटा है तो तुरंत उसे फीड कराना शुरू करें। यदि छह महीने से बढ़ा है तो नींबू नमक चीनी का घोल पिलाना शु्रू करें।

जल्दी से जल्दी शिशु के शरीर के तापमान को नीचे लाने के लिए उसे ठंड और खुली जगह में ले जाएं। ताकि वह बेहोश न होने पाए। यदि घर पर हैं तो उसके कपड़े को उतार दें और ठंडे कमरे में लिटाएं। हीट स्ट्रोक के दौरान बच्चे को गोद में रखें या बिस्तर पर। उसे गर्मी नहीं लगें। प्रैम, कार सीट, पालने, झूले, या बेबी कैरियर में बिलकुल न रखें।

याद रखें हीट स्ट्रोक को होने देने से रोकना ही इसका इलाज है। हीट स्ट्रोक होने पर उसका समय पर लक्षण पहचनान भी जरूरी है ताकि समय पर इलाज किया जा सके।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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