Mahatma Gandhi On Health: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ना सिर्फ देश के सच्चे अनुयायी थे बल्कि बेहद स्वस्थ इंसान भी थे। गांधी जी ने बहुत ही सरल और अनुशासित जीवन जीया है। राष्ट्रपिता की 150 वीं जयंती के मौके पर उनकी सेहत का रिकॉर्ड फाइल प्रकाशित किया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने महात्मा गांधी के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) का एक कलेक्टर संस्करण विकसित किया है।
'गांधी एंड हेल्थ @ 150' नामक इस किताब में बापू की हेल्थ से जुड़े कई तथ्यों का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही इसमें इस बात का भी खुलासा किया गया है कि गांधी जी की अनुशासित दिनचर्या के चलते उन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या थी। वहीं साल 1939 में उनका वजन 46.7 किलोग्राम और उनकी लंबाई पांच फुट पांच इंच थी। इतने कम वजन के बावजूद भी गांधी जी ने आजादी की लड़ाई लड़ी और देश को स्वतंत्रा दिनाई।
महात्मा गांधी के स्वास्थ्य से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे
- पुस्तक में लिखा है कि उनके स्वस्थ जीवन का पूरा श्रेय उनके शाकाहारी भोजन और खुली हवा में व्यायाम को जाता है। लंदन में रहते हुए, गांधीजी हर दिन शाम को लगभग आठ मील पैदल चलते थे और फिर बिस्तर पर जाने से पहले 30-40 मिनट के लिए नियमित वॉक करते थे।
- गांधी जी उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। उनका ब्लड प्रेशर 26 अक्तूबर 1937 को 194/130 और 19 फरवरी 1940 को 220/110 रहा था।
- 1939 के उनके ईसीजी रिकॉर्ड में मामूली मायोकार्डोसिस और कार्डियो-वैस्कुलर डीजनरेशन का संकेत मिला, हालांकि कोरोनरी अपर्याप्तता का किताब में उल्लेख नहीं है।
- स्वस्थ्य रिपोर्ट के अनुसार साल 1925, 1936 और 1944 में बापू को तीन बार मलेरिया हो चुका था। यही नहीं साल 1919 और 1924 में वह अपेंडिक्स और पाइल्स की समस्या से भी जूझ रहे थे। लंदन में वह प्लूरिसी इन्फ्लामेशन, फेफड़े और छाती में तकलीफ से भी परेशान हो चुके थे।
- 70 वर्ष की आयु में गांधी जी का वजन 46.7 किलोग्राम था तथा उनका बॉडी-मास इंडेक्स 17.1 था, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अुनसार काफी कम वजन होता है।
- 26 फरवरी 1939 को किए गए गांधी जी के नेत्र परीक्षण में पता चला कि उनकी आंखें कमजोर हैं, अन्यथा उनकी आंखों में कोई दूसरी दिक्कत नहीं है। इसके अलावा, 19 जनवरी 1936, 9 दिसंबर 1937 और 5 अप्रैल 1938 को की गई उनकी जैव रासायनिक जांच ने संकेत दिया कि उनका ब्लड शुगर स्तर 41, 71.4 और 0.115% (115) था जो सामान्य स्तर (80-120) से कम था।
- गांधीजी जी दूध का सेवन करने के खिलाफ थे, वे इसे मांस के बराबर मानते थे मगर एक बार उन्हें गंभीर बीमारी से उबरने के लिए बकरी का दूध पीने के लिए मजबूर किया गया था।
- गांधी ने ड्रग्स, तंबाकू और शराब के साथ चाय और कॉफी के सेवन के खिलाफ सख्ती से प्रचार किया।
- बापू ने संतुलित आहार और प्राकृतिक इलाज के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि व्यायाम शरीर और मन के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन हमारी हड्डियों और मांस के लिए।
20 मार्च को दलाई लामा द्वारा धर्मशाला में लॉन्च की गई पुस्तक यह भी बताती है कि गांधी जी पर्यावरण, जीवन शैली की बीमारियों और सामाजिक व्यवहार के बारे में क्रेंद्रित थे।
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