लाइव टीवी

हर सातवें किशोर में मेंटल हेल्थ की समस्या,स्कूल में होंगे बड़े बदलाव, इन लक्षणों को न करें इग्नोर

Updated Sep 12, 2022 | 13:10 IST

Mental Health Problem In Students: यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 10-19 साल के हर सातवें बच्चे में मेंटल हेल्थ की समस्या पाई गई है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दक्षिण एशिया में है। उसके अनुसार भारत में कोविड महामारी के पहले कम से कम 5 करोड़ बच्चे मेंटल हेल्थ की समस्या का सामना कर रहे थे।

Loading ...
बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती-फोटो: पिक्साबे
मुख्य बातें
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्या की वजह से साल 2021-2030 के बीच भारत को एक लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है।
  • भारत में केवल 41 फीसदी बच्चें और व्यस्क ऐसे हैं, मानसिक स्वास्थ्य समस्या का इलाज करना चाहते हैं।
  • NCERT ने स्कूल जाने वाले बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहले पहचान के लिए गाइडलाइन जारी की है।

Mental Health Problem In Students: भारत में 15-24 साल उम्र का हर सातवां युवा मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) समस्या से जूझ रहा है। स्कूल में पढ़ने वाले 12-13 फीसदी बच्चों को डिप्रेशन, भावनात्मक समस्या आदि का सामना करना पड़ रहा है। ये आंकड़े  चौकाने वाले हैं पर हकीकत यही है। बच्चों में यह समस्या कितनी गंभीर होती  जा रही है, इसे लेकर एनसीईआरटी (NCERT)की नई पहल से समझा जा सकता है। जिसमें स्कूल में पढ़ रहे  छात्र-छात्राओं में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के  लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इस मॉडल में बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की शुरूआती दौर में पहचान करने के साथ स्कूल के स्तर से लेकर अभिभावक के साथ समन्वय का रोडमैप तैयार किया गया है।

क्या है मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health)

मानसिक स्वास्थ्य समस्या का मतलब सिर्फ मानसिक असंतुलन होना नहीं होता है।  बल्कि यह भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, अवसाद के रूप में, सामाजिक भी हो सकता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 10-19 साल के हर सातवें बच्चे में मेंटल हेल्थ की समस्या पाई गई है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दक्षिण एशिया में है। उसके अनुसार भारत में कोविड महामारी के पहले कम से कम 5 करोड़ बच्चे मेंटल हेल्थ की समस्या का सामना कर रहे थे। और उसमें से 80-90 फीसदी बच्चों को कोई ईलाज भी नहीं मिला।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में बच्चों में मेंटल हेल्थ की लक्षणों में अत्यधिक चिंता करना, ऑटिज्म, बाईपोलर डिसऑर्डर, अवसाद, खाने का तरीका सामान्य नहीं होना, बाईपोलर डिसऑर्डर, स्किजोफ्रेनिआ जैसी समस्याएं होती है। जिसका सही समय पर ईलाज नहीं होना एक बड़ी समस्या खड़ी कर देता है। ICMR की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 12-13 फीसदी स्कूल बच्चे ऐसे हैं, जो मेंटर हेल्थ की समस्या से जूझ रहे हैं। उसमें सीखने में आ रही है दिक्कत से लेकर आत्महत्या की प्रवत्ति जैसे लक्षण भी दिखते हैं।

Causes of Fatigue: हमेशा रहती है थकान, शरीर में नहीं है जान, डाइट में आज से ही शामिल करें ये चीजें

अब स्कूलों में क्या होगा

एनसीईआरटी द्वारा स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहले पहचान और हस्तक्षेप की गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार पैनल की स्थापना, स्कूल आधारित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और अभिभावकों के साथ मिलकर शैक्षणिक सहायता का माहौल बनाना शामिल है।इसके तहत मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार पैनल में प्रिंसिपल की अध्यक्षता में शिक्षक, माता-पिता, छात्र और पूर्व छात्र सदस्य को शामिल करने की बात कही गई है।

भारत को 1 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)की रिपोर्ट के अनुसार मेंटल हेल्थ समस्या की वजह से साल 2021-2030 के बीच भारत को एक लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है। इसी तरह यूनीसेफ गैलप-2021 के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में मेंटल हेल्थ समस्याओं को लेकर जो पूर्वाग्रह उसकी वजह से केवल 41 फीसदी बच्चें और व्यस्क ऐसे हैं, जो इसका इलाज करना चाहते हैं। जबकि दुनिया में 83 फीसदी इलाज को अच्छा मानते हैं। साफ है कि अभी भारत में इसे बीमारी मानने से भी, बड़ी संख्या में लोग परहेज कर रहे हैं।