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डॉ. गुलेरिया ने बताया Mucormycosis होने के पीछे सबसे बड़ा कारण, कौन हो सकते हैं शिकार, ऐसे करें बचाव

Updated May 15, 2021 | 18:01 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Fungal infection: कोरोना वायरस के कुछ रोगी इस बार म्यूकोर्मिकोसिस या फंगल इंफेक्शन से भी परेशान हो रहे हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ये किसे हो सकता है और क्या सावधानियां बरतना जरूरी है।

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एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली: एक तरफ लोग कोरोना वायरस की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अब कई लोग कोरोना के साथ-साथ म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस की बीमारी से भी परेशान हो रहे हैं। AIIMS डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि जैसे-जैसे कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण के लिए प्रोटोकॉल का पालन करें। यह देखा गया है कि सेकेंड्ररी इंफेक्शन- फंगल और जीवाणु- अधिक मृत्यु दर का कारण बन रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'इस संक्रमण (म्यूकोर्मिकोसिस) के पीछे स्टेरॉयड का दुरुपयोग एक प्रमुख कारण है। मधुमेह, कोविड पॉजिटिव और स्टेरॉयड लेने वाले रोगियों में फंगल संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए हमें स्टेरॉयड के दुरुपयोग को रोकना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों, अनियंत्रित मधुमेह स्तर वाले लोगों और स्टेरॉयड के दुरुपयोग से म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। यदि कोरोना से संक्रमित मधुमेह रोगी स्टेरॉयड ले रहा है, तो फंगल संक्रमण की संभावना तेजी से बढ़ जाती है।'

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह रोग (म्यूकोर्मिकोसिस) चेहरे, संक्रमित नाक, आंख की कक्षा या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि हानि भी हो सकती है। यह फेफड़ों में भी फैल सकता है। 

उन्होंने कहा, 'Mucormycosis बीजाणु मिट्टी, हवा और यहां तक कि भोजन में भी पाए जाते हैं। लेकिन वे कम विषाणु वाले होते हैं और आमतौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। कोविड से पहले इस संक्रमण के बहुत कम मामले थे। अब कोरोना के कारण बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। एम्स में इस फंगल इंफेक्शन के 23 मरीजों का इलाज चल रहा है। उनमें से 20 अभी भी कोविड-19 पॉजिटिव हैं और बाकी कोरोना नेगेटिव हैं। कई राज्यों ने म्यूकोर्मिकोसिस के 500 से अधिक मामलों की सूचना दी है।'