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घातक बीमारी न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर के ये हैं तीन बड़े दुश्मन, इनसे रहें दूर

Updated Mar 17, 2018 | 20:43 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

समय रहते पहचान नहीं होने पर न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर का रूप ले सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर

नई दिल्ली: मशहूर अभिनेता इरफान खान ने जब ट्वीट कर बताया कि वो एक दुर्लभ बीमारी का सामना कर रहे हैं तो हर कोई अवाक था आखिर उन्हें क्या हो गया है। ट्वीट में उन्होंने बताया कि अभी बहुत से टेस्ट किए जा रहे हैं और जल्द ही वो अपनी बीमारी के बारे में जानकारी देंगे। जब उन्होंने बताया कि वो न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर यानि की एनईटी का सामना कर रहे हैं तो लोगों की उत्सुकता बढ़ गई कि आखिर ये बीमारी क्या है और ये कितना घातक है। आइए आप को बताते हैं कि इस बीमारी के पीछे वो कौन दुश्मन हैं जो किसी इंसान को न केवल आर्थिक तौर पर तोड़ देता है,बल्कि भावनात्मक तौर पर इंसान बेहद कमजोर हो जाता है।

एक लाख में पांच लोगों पर न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का खतरा मंडराता है। अगर भारतीय संदर्भ में देखें तो करीब 55 हजार लोग इस दुर्लभ बीमारी का शिकार हो सकते हैं। प्रति एक लाख लोगों में से पांच लोगों में इस बीमारी के होने की आशंका बनी रहती है। डॉक्टरों के मुताबिक महिलाओं से ज्यादा पुरुषों इस बीमारी की जद में आते हैं। अगर इस बीमारी की पहचान सही समय पर नहीं हुई तो यह कैंसर का रूप ले सकता है। इसकी शुरुआत शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर बनने से शुरू होती है। यह बीमारी लाइलाज नहीं है। लेकिन समय पर पहचान नहीं होने पर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। 60 फीसद से ज्यादा लोगों में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कार्सिनोमा प्रकार यानि कैंसर वाला होता है। ट्यूमर अगर कैंसरस है तो स्टेज के मुताबिक पीड़ित शख्स की जिंदगी सिर्फ पांच वर्ष होती है। 

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क्या है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर

इस बीमारी में अंत: स्रावी ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। अंत स्रावी ग्रंथिया हार्मोन का स्राव करती हैं और इनका नियंत्रण तंत्रिका तंत्र से होता है। इन ग्रंथियों में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की अंत: स्रावी कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी से कैंसर होता है।

यहां होती हैं अंत: स्रावी कोशिकाएं

किसी भी शख्स की शरीर में  पीयूष ग्रंथि, एड्रीनल, थाइरॉइड, पैराथाइराइड, टेस्टिस, ओवरीज, लैंगरहैंस की द्वीपिकाएं और थाइमस में अंत: स्रावी कोशिकाएं होती हैं । दुनिया में करीब साढ़े चार लाख लोग इस बीमारी का सामना कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर से प्रभावित होने वालों की संख्या करीब साढ़े पांच लाख हो जाएगी। अमेरिका में करीब 12 हजार लोग हर वर्ष इस बीमारी का शिकार होते हैं। 

बीमारी की बड़ी वजह

  • यह दुर्लभ बीमारियों में से एक है। डॉक्टरों के मुताबिक ये कई मायनों में आनुवांशिक हो सकती है। अगर मां और बाप से कोई एक भी इस बीमारी से पीड़ित है तो बच्चों के भी प्रभावित होने की आशंका हमेशा बनी रहती है। 
  • अगर किसी शख्स में प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है तो उसमें इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • ज्यादा धूप में रहने की वजह से अल्ट्रा वायलेट किरणों का शरीर पर ज्यादा असर होता है और इसकी वजह से बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन सभी न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। 

इन लक्षणों को न करें नजरंदाज

  • तनाव, घबराहट, चक्कर, अस्थिरता और बेहोशी।
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना, बुखार और उल्टी।
  • लगातार कई दिनों तक दस्त की शिकायत।
  • लगातार पेशाब आने की शिकायत या भूख और प्यास का बढ़ जाना।

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