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खून की कमीं के खिलाफ सुरक्षा कवच देगी लाल गोभी, कैंसर को करती है दूर

Updated Jan 28, 2021 | 01:51 IST

गोरखपुर से 40 किलोमीटर दूर जानीपुर कस्बे के प्रगतिशील किसान इंद्रप्रकाश सिंह लाल पत्ता गोभी की खेती कर रहे हैं। सिर्फ रंगीन होना ही इस गोभी की खूबी नहीं है। जानिए इसकी खूबियां...

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Red Cabbage
मुख्य बातें
  • लाल गोभी में पाए जाने वाले तत्व खून की कमीं एनीमिया की कमीं के खिलाफ सुरक्षा कवच देता है।
  • इसमें विटामिन ए,सी,कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  • कैंसर जैसे रोगों से सुरक्षा देता है।

गोरखपुर. सुनहरी शकरकंद के बाद अब सीएम सिटी ( गोरखपुर) में लाल पत्ता गोभी जलवा बिखरने को तैयार है। गोरखपुर से 40 किलोमीटर दूर जानीपुर कस्बे के प्रगतिशील किसान इंद्रप्रकाश सिंह इसकी खेती कर रहे हैं। 

सिर्फ रंगीन होना ही इस गोभी की खूबी नहीं है। इसमें पाए जाने वाले तत्व खून की कमीं एनीमिया की कमीं के खिलाफ सुरक्षा कवच देता है।  कैंसर जैसे रोगों से सुरक्षा देता है। इसमें विटामिन ए,सी,कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।

इंद्रपकाश सिंह राज्य के प्रगतिशील किसानों में शुमार है। सब्जियों की खेती में नवाचार के लिए वह जिले और प्रदेश स्तर के कई सम्मान भी पा चुके हैं। उन्होंने अपने एक मित्र से लाल गोभी के बारे में सुना। आदतन उन्होंने इसके बाजार के बारे में जानकारी की। 

एक बीघे में खेती की
मंडी के कारोबारियों ने बताया कि रंगीन होने के कारण लगन सलाद के रूप में इसकी ठीक-ठाक मांग निकल सकती है। इसके बाद उन्होंने नर्सरी के लिए बीज की तलाश शुरू की। काफी प्रयास के बाद उनको वाराणसी से यह उपलब्ध हो सका। 

फिलहाल उनकी नर्सरी के पौधे शीघ्र ही गोभी की तरह आकार लेने लगेंगे। वह बताते हैं कि जब उन्होंने इसके बारे में पढ़ा तो लगा कि इसकी खेती के लिए पूर्वांचल की कृषि जलवायु अनुकूल है। लिहाजा इस साल उन्होंने करीब एक बीघे में इसकी खेती की है। 

इस साल देंगे विस्तार
फसल जिस समय (अप्रैल) तैयार होगी उस समय लगन होगी। चूंकि पिछले साल कोरोना और इसके कारण लगे प्रतिबंद्धों की भेंट चढ़ गया। लिहाजा इस साल सहालग में शादियां भी अधिक होगी। 

ऐसे में उनको उम्मीद है कि उनकी गोभी की मांग और भाव  दोनों ठीक रहेंगे। अगर ऐसा हुआ तो अगले साल वह इसकी खेती को और विस्तार देंगे। 
इंद्र प्रकाश सिंह सब्जियों की खेती करते हैं। आलू उनकी विशेष फसल है। इसी से उनकी पहचान बनी है।

विविधीकरण पर जोर
गेंहू-धान वह खाने भर का ही उगाते है। जोखिम कम करने के लिए वह सब्जियों की खेती में भी डाइवर्सिफिकेशन (विविधीकरण) पर जोर देते हैं। आलू की फसल तैयार होने को है। मौजूदा समय में वह टमाटर, खीरा और कलौंजी के बैगन की नर्सरी  डाल चुके हैं। लाइन सोइंग से बोया गया गेहूं औरों से अलग दिख रहा है। 

इस साल वह पत्ता गोभी की एक ऐसी किस्म भी लगाने जो रहे हैं जो मई में तैयार होगी। आकार में यह गोल की बजाय चौकोर होगी।कृषि वैज्ञानिक केंद्र गोरखपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक उद्यान गोरखपुर डॉ एसपी सिंह ने बताया कि सामान्य पत्ता गोभी में उसमे एक कीड़ा होता है। जो छेद कर देता है। 

भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट

सब्जी खराब कर देता है। लेकिन इस लाल पत्ता गोभी में अभी यह देखने को नहीं मिला। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट कैल्शियम और आयरन की मात्रा भी ज्यादा है। यह अन्य बीमारियों के लिए भी लाभकारी है। आने वाले समय में इसका बाजार धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें मुख्य रूप से फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट, लाल गोभी पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा, और पोटेशियम के अलावा विटामिन सी, ए, ई, बी, फाइबर मिलते हैं।

स्वाभाविक है कि इसके सेवन से कई तरह की विटमिंस, मिनिरल्स की कमीं की भरपाई होती है। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।