- यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लगभग न के बराबर है
- भारत में महिला की यौन सेहत की स्थिति बहुत बुरी है
- एचपीवी, जेनिटल हरपीज और सिफलिस जैसे यौन संचारित रोग भारत में महिलाओं को सबसे अधिक होते हैं
आइए, ऐसी समस्या के बारे में बात करते हैं, जो लगभग हर भारतीय घर में मौजूद होती है - महिलाओं की यौन सेहत। यौन सेहत निश्चित रूप से ऐसी समस्याओं में से एक है, जिस पर भारत में सबसे कम चर्चा की जाती है और सबसे उपेक्षित भी है, विशेष रूप से, जब महिलाओं के यौन स्वास्थ्य की बात आती है। जिस देश में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, वहां यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लगभग न के बराबर है। हालांकि, यह शहरी क्षेत्रों में भी इतना ही खतरनाक है, इस तथ्य के बावजूद कि महानगरीय और टियर 2 और 3 शहरों में रहने वाले लोग अपेक्षाकृत अधिक शिक्षित और सक्षम हैं।
भारत में महिला की यौन सेहत की स्थिति बहुत बुरी है। गर्भावस्था और असुरक्षित गर्भपात की वजह से होने वाली शिकायतें, 15-19 वर्ष की उम्र की महिलाओं में मौत के प्रमुख कारणों में से हैं। भारत में 31% तक एड्स की शिकायतें, 15-24 वर्ष के आयु वर्ग के किशोरों को होती है। जागरुकता की इस कमी के लिए यौन शिक्षा और असंगठित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के अभाव को दोषी माना जाता है।
भारत को अपने युवाओं को बेहद जरूरी यौन शिक्षा देने की काफ़ी ज़रूरत है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अगली पीढ़ी अपनी यौन शारीरिक बनावट को इस तरह से समझे कि उनकी चिंताओं और सेहत से संबंधित दिक्कतों पर बात करना आम बात है। आइए उन सामान्य यौन समस्याओं के बारे में बात करते हैं, जिनका सामना भारत में महिलाएं करती हैं।
सेहतमंद और जिम्मेदार यौन बर्ताव पर शिक्षा की कमी
भारत में यौन शिक्षा हमेशा एक विवादास्पद विषय रही है लेकिन इस विषय का विरोध करने वाले लोगों के लिए इसके महत्व को समझना जरूरी है। औपचारिक शिक्षा के रूप में यौन शिक्षा एक सामान्य, स्वस्थ और जागरूक व्यक्ति के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे न केवल उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से खुद के बारे में जानने में मदद मिलती है, बल्कि वे एक दूसरे के प्रति अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में भी सीखते हैं।
यौन शिक्षा का शैक्षणिक पहलू बच्चों को यौवन के दौरान उनके शरीर में होने वाले परिवर्तनों को समझने में मदद करता है। यह उन्हें मासिक धर्म, प्रजनन, गर्भनिरोधक और एसटीडी के बारे में भी सिखाती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण रूप से, यह उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति बनाता है जो अपनी कामुकता से संबंधित जिम्मेदार निर्णय लेते हैं।
यौन संचारित रोग (एसटीडी)
एचपीवी, जेनिटल हरपीज और सिफलिस जैसे यौन संचारित रोग भारत में महिलाओं को सबसे अधिक होते हैं। आइए समझते हैं कि ये एसटीडी किस वजह से होते हैं और कैसे हम उन्हें शुरुआती अवस्था में पहचान और ठीक कर सकते हैं।
1. योनि स्राव या वैजिनल डिस्चार्ज : ज्यादातर समय वैजिनल डिस्चार्ज आम बात होती है। इसकी मात्रा और रंग विभिन्न हालात के अनुसार अलग हो सकता है, जिनमें शामिल हैं - ओव्यूलेशन, स्तनपान, या संभोग के दौरान। यदि आप गर्भवती हैं या अपनी अपनी साफ सफाई का ध्यान नहीं रखती हैं तो इसकी गंध अलग-अलग हो सकती है। यदि रंग, गंध, या स्थिरता सामान्य से अलग हो, मात्रा काफी अधिक हो या पेशाब करने के दौरान खुजली या जलन होती हो, आदि, तो इस स्थिति की तुरंत जांच करानी चाहिए। यह संकेत हो सकता है कि आप किसी संक्रमण या किसी अन्य स्थिति से निपट रहे हैं। गोनोरिया और क्लैमाइडिया जैसे एसटीडी भी वैजिनल डिस्चार्ज और जलन पैदा कर सकते हैं। चरम मामलों में, असामान्य वैजिनल डिस्चार्ज और लगातार खुजली सर्वाइकल कैंसर या पीआईडी का भी संकेत हो सकता है।
2. जेनिटल वार्ट्स, सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) : एचपीवी महिलाओं में सबसे अधिक फैलने वाली बीमारी है। भारत में लगभग 50% मध्यम उम्र वाली महिलाओं को एचपीवी है। एचपीवी की वजह से जेनिटल वार्ट्स और यहां तक कि सर्वाइकल कैंसर तक हो सकता है। एचपीवी के लक्षण कई बार ध्यान में नहीं आ पाते हैं और कभी-कभी गैर-मौजूद होते हैं। एचपीवी के लिए परीक्षण के साथ-साथ पैप स्मीयर टेस्ट करवाने से शुरुआती असामान्यताओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है जो सर्वाइकल कैंसर से पहले होती हैं।
3. इसके अलावा, 13-26 वर्ष की उम्र के लड़कियों के लिए अनुशंसित एचपीवी वैक्सीन काफी हद तक एचपीवी संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है
4. जननांग के छाले, फफोले या घाव -
a. जननांग हरपीज - जननांग हरपीज़ आमतौर पर होने वाला एसटीडी है जो हरपीज़ सिंप्लेक्स वायरस के कारण होता है। एचएसवी बाहरी जननांग, गुदा के आसपास और शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा को प्रभावित करता है।
b. सिफलिस - सिफलिस जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। शुरुआती दौर में इसकी वजह से दर्द रहित जेनिटल अल्सर होता है। अल्सर उपस्थित होने पर सिफलिस अत्यधिक संक्रामक होता है। सिफलिस आमतौर पर इलाज योग्य है लेकिन रोग की गंभीरता और अवस्था के आधार पर उपचार अलग-अलग हो सकते हैं।
यौन सुख की कमी से जुड़ी परेशानियां
1. वैजिनिस्मस
वैजिनिस्मस की वजह से पेल्विक की मांसपेशियों में ऐंठन होती है, जिस वजह से अनचाहे में योनि कसने लगती है। यह स्थिति सामान्य है जिस वजह से अधिकांश महिलाएं उपचार नहीं कराती हैं। बार-बार होने वाले यीस्ट संक्रमण या यूरिनरी ट्रैक्ट के संक्रमण की वजह से रिफ्लेक्सिव मसल्स रिएक्शन हो सकता है। पिछले यौन शोषण से सेक्स, गर्भावस्था या भावनात्मक आघात का डर के कारण भी यह स्थिति हो सकती है। एक फिजिकल चिकित्सक पैल्विक मांसपेशियों के कार्यों को बहाल करने में मदद कर सकता है। डॉक्टर योनि की त्वचा को खींचने के लिए वैजिनल डायलेटर का सुझाव दे सकते हैं।
2. एनोर्गास्मिया
एनोर्गास्मिया महिलाओं को होने वाला एक यौन रोग है, जिसमें पर्याप्त यौन उत्तेजना के बावजूद ऑर्गेज़्म तक पहुंचना मुश्किल होता है। यह एक सामान्य समस्या है जो महिलाओं में होती है और इससे उन्हें मानसिक परेशानी भी होती है। एनोर्गास्मिया विभिन्न शारीरिक कारकों के कारण हो सकता है जिसमें किसी भी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति, हिस्टेरेक्टॉमी या कैंसर सर्जरी, स्त्री रोग संबंधी सर्जरी, दर्दनाक या असहज संभोग (एसटीडी के कारण भी हो सकता है, इसलिए उनकी भी जांच कर लें), शराब का सेवन और धूम्रपान और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया शामिल है।
महिलाएं बरतें ये सावधानियां
सेक्स शर्मिंदगी का विषय नहीं है और न ही इससे जुड़ी समस्याएं। कुछ सावधानियां हैं जिन पर यौन रूप से सक्रिय महिलाओं को अपनी सेक्स वेलनेस के लिए ध्यान देना चाहिए। ये वे कदम हैं जो महिलाओं को खुद को एसटीडी से बचाने के लिए उठाने चाहिए - प्रोटेक्शन का उपयोग करके सुरक्षित सेक्स करें, नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं, योनि की स्वच्छता बनाए रखें, निचले क्षेत्र को साफ करने के लिए वेजिनल वॉश और अन्य कॉस्मेटिक उत्पाद का उपयोग करने से बचें। डूश से धोएं नहीं, किसी भी दुष्प्रभाव का कारण बनने वाली गोलियों से बचें, सभी प्रकार के यौन गतिविधि के लिए सुरक्षा का उपयोग करें।
(डिस्क्लेमर: डॉ. बिनीता प्रियंबदा, सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल टीम, डॉकप्राइम.कॉम हमारे मेडिकल विशेषज्ञ पैनल का एक हिस्सा हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं)