हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु की शुरूआत मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात बेहद खूबसूरत होती है जिसे देखने के लिए सभी देवता स्वर्ग से धरती पर उतरते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी रात में खीर रखना काफी शुभ होता है और सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
इस वर्ष शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर, दिन रविवार को पड़ रही है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि अगर आप इस चांदनी रात में चावल की खीर बनाकर खुले में रखें और फिर अगले दिन इसका सेवन करें तो इससे सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
इसी धार्मिक मान्यता के चलते हर साल हज़ारों लोग शरद पूर्णिमा की रात में खीर रखकर खातें हैं और खुद को निरोग रखने की कामना करते हैं। ऐसा नहीं है कि खीर से निरोग होने के पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यताएं ही हैं बल्कि कई ऐसे वैज्ञानिक तथ्य भी हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं। इस लेख में आगे हम आपको बताने जा रहे हैं कि शरद पूर्णिमा में खीर खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं :
शरद पूर्णिमा की खीर के पीछे ये हैं वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार दूध में प्रचुर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है। दूध में बनी खीर जब शरद पूर्णिमा को चांदनी रात में रखी जाती है तब यह अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणों को अवशोषित करती है। चंद्रमा के प्रकाश में कई तत्व होते हैं जो खीर को तत्वों से समृद्ध कर देते हैं। इसे खाने से व्यक्ति निरोगी और स्वस्थ रहता है।
चावल में पर्याप्त मात्रा में स्टार्च पाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार चावल से बनी खीर को चांदी के बर्तन में चांदनी रात में रखने पर यह पोषक तत्वों से समृद्ध हो जाती है। चांदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसे खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की खीर खाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऋषि मुनि भी इसे बहुत लाभकारी मानते हैं। अगर आपके पास चांदी के बर्तन नहीं हैं तो इसमें परेशानी कि कोई बात नहीं है, आप साधारण बर्तन में भी खीर को रात भर के लिए रख सकते हैं।
हमारे ग्रंथों में शरद पूर्णिमा की खीर को सेहत के लिए अमृत सामान माना गया है, इस शरद पूर्णिमा आप भी खीर का सेवन करें और स्वस्थ रहें।