शरद दीक्षित ( योगा एंड फिटनेस एक्सपर्ट )
सूर्य नमस्कार स्वयं में एक सम्पूर्ण साधना है। क्योंकि इसमें आसन, प्राणायाम, मंत्र एवं ध्यान की विधियों का एक साथ समावेश किया गया है। सूर्य आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, इसके महत्व को बताते हुए 'फलस्रुति मंत्र' कहा गया है।
"आदित्स्य नमस्कारान,ये कुर्वन्ति दिनेदिने ।
आयु: प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस तेषाज च जायते।।
अर्थात जो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं वे आयु, प्रज्ञा,बल,वीर्य और तेज को प्राप्त करते हैं।
सूर्य नमस्कार की एक आवृत्ति मे 12 स्थितियां होती हैं, सभी आसनों को अपना एक मंत्र होता है। आसनों का वर्णन निम्न प्रकार से हैं-
1- प्रणामासन 2-हस्ताउत्तानासन 3-पादहस्तासन 4-अश्न संचालनासन 5-पर्वातासन 6-आष्टांग नमस्कार 7-भुजंगासन 8-पर्वातासन 9-अश्न संचालनासन 10-पादहस्तासन 11-हस्ताउत्तानासन 12-प्रणामासन
सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए उपयुक्त समय सूर्योदय का होता है। सुबह के समय अगर आप अभ्यास नहीं कर पाते हैं तो किसी भी वक्त कर सकते हैं बशर्ते आपका पेट खाली रहे। इसका अभ्यास किसी भी आयुवर्ग के लोग कर सकते हैं, इसके अभ्यास के बाद कुछ क्षणों का शवासन अवश्य करें।
सूर्य नमस्कार के सम्पूर्ण अभ्यास से कई प्रकार के लाभ होते हैं। यह शारीरिक और मानसिक दोनो स्तर पर उर्जा को सन्तुलित करता है, इससे हमारा शरीर कांतिमय, सुडौल व आकर्षक बनता है। इसका अभ्यास अगर तेजी से किया जाए तो यह वजन घटानें में और पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
विशेष : 24 घंटे में यदि 24 मिनट का भी समय निकालकर यदि सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो आप समस्त प्रकार की बीमारियों से व नकारात्मक उर्जा से दूर रहेंगे।
(प्रस्तुत लेख में लेखक के निजी विचार हैं, Times Now लेख के किसी अंश के लिए उत्तरदायी नहीं है)