नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने टूथपेस्ट, साबुन और दुर्गन्ध वाले दैनिक उपयोग के उत्पादों में पाए जाने वाले ट्राइक्लोसन को खतरनाक पाया है। शोध के निष्कर्षों को हाल ही में यूनाइटेड किंगडम से प्रकाशित एक प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका, Chemosphere में प्रकाशित किया गया था। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनामिका भार्गव की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने पाया कि अनुमेय सीमा से 500 गुना कम ट्राइक्लोसन को जोड़ना मानव तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।
ट्राइक्लोसन एक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल पदार्थ है और मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। ये कैमिकल बर्तन और कपड़ों में भी पाया जा सकता है, हालांकि 1960 के दशक में इसका प्रारंभिक उपयोग मेडिकल केयर प्रोडक्ट्स तक ही सीमित था।
IIT शोधकर्ताओं ने कहा कि ट्राइक्लोसन को बहुत कम खुराक में लिया जा सकता है, लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं में केमिकल की मौजूदगी के कारण यह बहुत खतरनाक हो सकता है।
इससे पहले हुई एक रिसर्च में सामने आया था कि ट्राइक्लोसन के इस्तेमाल से कोलन (बड़ी आंत) में सूजन व कैंसर पैदा हो सकता है। ट्राइक्लोसन का प्रयोग चूहों पर किया गया। शोध के निष्कर्ष में कहा गया है कि थोड़े समय के लिए ट्राइक्लोसन की कम मात्रा से कोलन से जुड़ी सूजन शुरू हुई और कोलाइटिस से जुड़ी बीमारी बढ़ने लगी और कोलन से जुड़ा हुआ कैंसर चूहों में देखा गया। इन परिणामों से पहली बार पता चला है कि ट्राइक्लोसन का आंत के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ट्राइक्लोसन की अधिक मात्रा का जहरीला प्रभाव पड़ता है।