Typhoid Fever symptoms and treatment in hindi: बारिश का मौसम शुरू हो गया है, ऐसे में आपको जगह-जगह गड्ढों में गंदा पानी जमा होते नजर आ रहा होगा। जिसमें मच्छर और मक्खियां पनपते रहते है जिसके कारण बीमारियों का खतरा वैसे ही बढ़ा हुआ होता है। और इसपर जब आप ऐसे मौसम में बाहर कुछ खाने पीने जाते हैं, तो इंफेक्शन का रिस्क और भी दोगुना ज्यादा बढ़ जाता है। जब इस तरह का परहेज नहीं किया जाता है, तब आप बाहर के अनहाइजीनिक खाने या पानी पी लेने से टाइफाइड, पीलिया जैसी वाटरबॉर्न बीमारियों का आसानी से शिकार हो जाते हैं।
What is Typhoid in hindi
टाइफाइड एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन है, जो साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होता है। ये बैक्टीरिया आपके मुंह के जरिए आपकी आंतों में चला जाता है। फिर वहां से ब्लड के माध्यम से पूरे शरीर में छुप जाता है, जहा इसका पता आपके इम्यून सेल्स भी नहीं लगा पाते। खाने-पीने की चीजों के साथ शरीर में जाने के अलावा ये बैक्टीरिया किसी ऑलरेडी संक्रमित व्यक्ति के मल से उसके चारों तरफ होने वाली पानी की आपूर्ति को भी दूषित कर सकती है। जिसकी वजह से ये किसी और व्यक्ति के संपर्क में भी आ सकता है।
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Typhoid Symptoms in hindi
- तेज बुखार, करीब 103 डिग्री : टाइफाइड के मरीज को बार बार तेज बुखार चढ़ने और उतरने की शिकायत हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये कीटाणु शरीर में जाने के बाद रिप्रोडक्शन करते हैं। जिससे उनकी तादाद दोगुनी हो जाती है। इनसे लड़ने के लिए बॉडी अपना टेंपरेचर बढ़ा लेती है।
- सिरदर्द : बुखार, भूख न लगने जैसे कारणों की वजह से आपको सिरदर्द का अनुभव भी होगा।
- कब्ज या डायरिया : टाइफाइड के अधिकतर मरीजों को दस्त और उल्टी की शिकायत होती है। हालांकि इसे कई बार लोग आंत संबंधी बीमारी से कनफ्यूज कर लेते हैं, मगर टाइफाइड में आपके स्टूल का रंग डार्क होता है, जिसके साथ उल्टी की शिकायत होती है।
- भूख न लगना - शरीर का टेंपरेचर बढ़ने से डाइजेशन संबंधी एंजाइम काम करना बंद करने लगते हैं। इसलिए आपकी भूख कम हो सकती है, या फिर थोड़ा सा खाने के बाद भी आपको पेट भरा-भरा सा लग सकता है।
- लिवर पर सूजन - टाइफाइड के बैक्टीरिया काफी स्ट्रांग होते हैं। और अक्सर देखा जाता है कि करीब एक हफ्ता टाइफाइड से संक्रमित होने के बाद पेशेंट के लिवर का आकार बढ़ने लगता है। ऐसा खासतौर पर बच्चों में देखने में आता है।
- बॉडी पर रेडनेस – टाइफाइड के मरीजों में आप चेस्ट और पेट पर लाल रंग के चकत्ते स्पॉट कर सकते हैं। ऐसा तब होता है जब बैक्टीरिया आपकी स्किन पर असर करने लगता है।
- पेट में दर्द – क्योंकि इस दौरान दस्त और उल्टी की बहुत समस्या होती है। उसकी वजह से आपको पेट में ऐंठन, पेट दर्द और पेट में सूजन की तकलीफ भी हो सकती है।
इन सभी लक्षणों के साथ टाइफाइड के मरीज में ठंड लगना, थकान लगना, बॉडी पेन और वीकनेस होने जैसी समस्याएं नोटिस की जा सकती हैं।
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टाइफाइड से कैसे बचें
- हाथों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। खाना खाने से पहले और वॉशरूम से आने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।
- स्ट्रीट फूड से परहेज करें। यहां टाइफाइड बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक होती है।
- घर को हाईजिनिक रखें।
- घर का बना ताजा और गर्म खाना खाएं। क्योंकि ये हेल्दी और हाईजिनिक होने के साथ इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि ज्यादा टेंपरेचर में इन बैक्टीरिया को बढ़ने की संभावना कम होती है।
- कच्ची सब्जी, फल खाने और गंदा पानी पीने से बचें।
- अपने सभी घरेलू सामानों (विशेष रूप से रसोई के सामान) की साफ-सफाई करते रहें।
टाइफाइड होने पर क्या करें
इस तरह के परहेज के साथ आपको ये भी खास रूप से ध्यान रखना है कि अगर आप टाइफाइड से संक्रमित हो गए हैं। तो आपको अपनी डाइट पर खास फोकस करना है क्योंकि इससे आप बीमारी से लड़ने में सक्षम होंगे।
- हाई-कैलोरी युक्त डाइट लें। रोटी, केला, उबला हुआ आलू अधिक खाएं।
- लिक्विड अधिक लें, पर्याप्त पानी और फ्रेश फ्रुट से तैयार जूस का सेवन अधिक करें।
- उबले हुए चावल, बेक्ड आलू खाएं। इन्हें पचाना आसान होता है।
- प्रोटीन युक्त खाना जैसे फलियां, पनीर और दही खाएं।
इसके अलावा हाई फाइबर, मसालेदार और फ्राइड चीजें और घी, मक्खन, डेयरी प्रोडक्ट्स से खास दूर रहें।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।)