- हर्पीज संक्रमण से होता है और बहुत तेजी से फैलता है
- जिन्हें चिकनपॉक्स हो चुका है, उन्हें ये होने की संभावना ज्यादा है
- कमजोर इम्युनिटी और साफ-सफाई की कमी से होता है
हर्पीज़ एक दूसरे के संपर्क में आने से हो सकता है, इसलिए हर्पीज के मरीज से बच कर रहना चाहिए। हर्पीज संक्रमण का कारण हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस होता है और ये अधिकतर यौन संचारित रोगों के कारण होता है, हालांकि इसके अन्य कारण भी हैं। इसे जेनिटल हर्पीज के जाता है। ये ऐसा संक्रमण है जो बहुत तेजी से फैलता है और इसके छाले जब फूटते हैं तो मरीज के शरीर के अन्य हिस्सों में ही नहीं उसके आसपास रहने वालों को भी ये बीमारी हो सकती हैं। संक्रमण में शरीर पर छोटे-छोटे छाले हो जाते हैं और ये छाले दर्द भी देते हैं। इस बीमारी के होने की संभावना उनमें भी ज्यादा होती है जिन्हें चिकन पॉक्स कभी हो चुका हो, क्योंकि ऐसे लोगों के शरीर में वेरिसेला जोस्टर वायरस (चिकन पॉक्स का वायरस) पहले से ही मौजूद है और ये हर्पीस होने की संभावना को बढ़ा देता है।
ये बीमारी 40 की उम्र के बाद होने की संभावना होती है। वहीं जिनका इम्युन कमजोर, जो साफ सफाई से न रहते हों, तनाव, चोट, दवाओं के रिएक्शन से भी ये बीमारी हो सकती हैं। आमतौर पर हर्पीज जॉस्टर 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाता है यदि सही तरीके से इसका इलाज कराया जाए।
जानें क्या है हर्पीज जॉस्टर
हर्पीज होंठ के आसपास, आंखों के आसपास या जनानांगों के आसपास सबसे पहले निकलता है। शरीर या चेहरे के किसी एक तरफ ये होता है। दानों पर खुजली, दर्द जलन या सुन्नपन होने लगता है। जहां दाने होते हैं वहां की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और उसे छूने पर दर्द होता है। इन दानों के निकलने से पहले शरीर में दर्द होने लगता है और कुछ दिन बाद त्वचा पर लाल-लाल फुंसियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। धीरे-धीरे इन दानों में पानी भर जाता है। कई बार बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, थकान आदि की शिकायत होती है ।
इन कारणों से होती है हर्पीज की समस्या
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनमें इस वायरस का खतरा ज्यादा होता है।
वायरल संक्रमण : हर्पीज एक संक्रामक बीमारी है इसलिए वायरल संक्रमण के कारण ये तेजी से फैलता है। ये तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करती है।
चिकन पॉक्स एक्सपोजर : ये बीमारी चिकन पॉक्स के वायरस वेरिसेला जॉस्टर के कारण होती है, इसलिए जिनमें ये बीमारी रही हो कभी वह इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
हाईजीन की कमी : यह बीमारी हाईजीन की कमी के कारण भी होती है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर यह बीमारी दो हफ्ते में दूसरे में भी नजर आने लगती है। इस बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
पहचाने इसके लक्षण
छाले का होना : होठ या आंखों के आसपास या फिर मुंह के अंदर अथवा जननांगों में पानी वाले छाले सबसे पहले नजर आते हैं। ये शरीर के किसी एक ही हिस्से में होता है। पानी वाले दानों में मवाद भरने लगता है। इसे ठीक होने में कम से कम दो से तीन हफ्ते का वक्त लगता है।
बुखार : मांसपेशियों और सिर में दर्द के साथ बुखार का होना और कुछ दिन बाद दानों का नजर आना ये हर्पीज के आम लक्षण हैं।
खुजली और जलन : घाव और फफोले बनने से पहले रोगी को संक्रमित हिस्से पर खुजली और जलन का अनुभव होता है।
जानें क्या है इस बीमारी का इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए एंटीवायरस मेडिसिन दी जाती है। दवाइयों के साथ दानों पर लगाने के लिए लोशन भी दिया जाता है। दो से तीन सप्ताह में ये बीमारी ठीक हो जाती है।
बीमारी के दौरान सादा भोजन लें और अंकुरित अनाज लेना चाहिए। मूंगफली, चॉकलेटस और बादाम शक्कर खाने से बचना चाहिए।