- कोरोना के इस संकट के दौर में फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं हेल्थ वर्कर्स
- अपनी थकान कम करने तथा तनाव मिटाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी ले रहे हैं योग और धर्म ग्रंथों का सहारा
- देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या पहुंच चुकी है 2 लाख के करीब
नई दिल्ली: कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे डॉक्टरों और नर्सों में से कई तनाव को कम करने के लिए योग, संगीत और धार्मिक किताबों का सहारा ले रहे हैं। दिल्ली के सरकारी बाबू जगजीवन राम अस्पताल में सेवा देने वाले वरिष्ठ डॉक्टर वी के वर्मा अपने दिन की शुरुआत प्रणायाम से करते हैं और इसके साथ ही वह योग के कई दूसरे आसन भी करते हैं और फिर काम पर जाते हैं।
बाइबल का सहारा
वहीं मैक्स अस्पताल की नर्स डॉली मस्से का कहना है कि इस संक्रमण से पैदा हुए 'तूफान' में शांति तलाशने के लिए वह बाइबल का सहारा लेती हैं। उनका कहना है कि वह अपने थैले में हर समय इस धार्मिक किताब को रखती हैं, यहां तक कि उनके मोबाइल फोन में भी ई-बाइबल है। यह किताब उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में वह बिल्कुल भी नहीं डरीं और जब बंद के दौरान मामले बढ़ने शुरू हुए तब भी उन्हें डर नहीं लगा लेकिन 27 वर्षीय नर्स का कहना है कि अब उन्हें थोड़ा सा डर लगने लगा है कि वह भी संक्रमित हो सकती हैं।
मानवता की सेवा करना धर्म
एलएनजेपी अस्पताल की सीनियर डाक्टर कुमुद भारती ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का काफी खतरा है क्योंकि वह इस लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर बचाव के लिए पीपीई किट, दस्ताने और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारती ने कहा कि डॉक्टरों को पता है कि मानवता की सेवा करना उनका कर्तव्य है लेकिन आखिर में डॉक्टर भी तो इंसान ही हैं।
फॉर्टिस अस्पताल के डॉक्टर विकास मौर्य ने कहा कि ज्यादा संख्या में पीपीई किट होने से उनकी चिंता कम हुई है। उनका कहना है कि वह छह-छह घंटे तक लगातार पीपीई सूट पहने रहते हैं इसलिए उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वह इस स्थिति में भी खुद को शांत रखने के लिए वह टीवी पर आनेवाले कार्यक्रमों को देखते हैं। किताब पढ़ते हैं और संगीत सुनते हैं।