- 22 अगस्त 2020 को 6 दलों की साझा बैठक में अनुच्छेद 370 के लिए संघर्ष करने पर दिया गया था बल
- कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने विरोधी दलों की इस मुहिम का किया था समर्थन
- पीडीपी चीफ महबूबा से मिले थे फारुक और उमर अब्दुल्ला, मीटिंग में शिरकत करने की अपील की थी।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 अब अस्तित्व में नहीं है,संविधान में 370 के अस्थाई प्रावधान को स्थाई तौर पर हटा दिया गया। यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य दलों के दिल और दिमाग से 370 उतरा नहीं है। जब फारुक और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को नजरबंद किया गया तो उनके राग में किसी तरह का बदलाव नहीं था। अब जब वो सारे नेता रिहा हो चुके हैं तो अनुच्छेद 370 को धार देने के लिए बैठक करने वाले हैं जिसमें महबूबा मुफ्ती भी शामिल होंगी। दरअसल फारुक अब्दुल्ला के गुप्कर आवास पर 22 अगस्त को बैठक हुई थी जिसमें एक वक्तव्य पर 6 दलों ने सहमति दी थी और उसे सामान्य तौर पर गुप्कर 1 के नाम से जाना जाता है।
अनुच्छेद 370 पर 6 दलों की साझा बैठक
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला छह दलों के राजनीतिक नेताओं के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुप्कर घोषणा पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं इस संबंध में बुधवार को फारुक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती से मिलने के लिए उनके फेयर व्यू निवास पर उनसे मुलाकात की थी।।
22 अगस्त 2020 को भी हुई थी मीटिंग
बताया जा रहा है कि बैठक का मसौदा गुप्कर घोषणा पर केंद्रित होगी जो मूल रूप से 22 अगस्त 2020 को छह राजनीतिक दलों द्वारा हस्ताक्षरित एक वक्तव्य है। 22 अगस्त की बैठक में इन दलों ने कहा था कि सामूहिक रूप से अनुच्छेद 370 के हनन के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। 22 अगस्त, 2020 को, जम्मू और कश्मीर के छह राजनीतिक दलों ने अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ने के लिए 'गुप्कर घोषणा' नामक एक वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए थे। उन छह राजनीतिक दलों में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, आईएनसी, जम्मू-कश्मीर के लोगों का सम्मेलन, सीपीआई (एम) और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं।
गुपकार घोषणा की यह है कहानी
नेशनल कांफ्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर 4 अगस्त, 2019 को आठ स्थानीय राजनीतिक दलों ने एक बैठक की थी। दरअसल उस समय श्रीनगर घाटी से पर्यटकों को निकलने के लिये कहा गया था और धीरे धीरे सुरक्षाबलों को जमावड़ा बढ़ता जा रहा था। पूरे देश में अफरातफरी इस बात को लेकर थी कि आखिर क्या कुछ होने वाला है, जिस तरह से सुरक्षा बलों की संख्या में इजाफा हो रहा था उससे कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं न कहीं कुछ बड़ा फैसला होने वाला है। असमंजस के इसी माहौल में कश्मीरी राजनीतिक दलों ने मीटिंग बुलाई। उस वैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसे गुपकार घोषणा के तौर पर जाना गया।