- सीआरपीएफ में अधिकारी नरेश कुमार को पुलिस वीरता पदक दिया गया है
- उन्होंने कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की टीम का नेतृत्व किया था
- सुरक्षा बलों की कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी मारे गए थे
नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रक्षा कर्मियों के लिए शौर्य चक्र सहित विभिन्न वीरता पुरस्कारों की घोषणा की गई, जिनमें केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी नरेश कुमार भी शामिल हैं। कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेने वाले नरेश कुमार को पुलिस वीरता पदक (PMG) से सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपना मेडल आतंकियों के हमले में शहीद हुए अपने सहकर्मी मोहम्द यासीन तेली को समर्पित किया और कहा कि उन्होंने राष्ट्र सेवा के लिए यह वर्दी पहनी है और राष्ट्र हमेशा सबसे पहले आता है।
जैश आतंकियों को किया ढेर
सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट नरेश कुमार (35) को श्रीनगर हवाई अड्डे के पास 2017 में सुरक्षा बलों के शिविर पर हमला करने वाले तीन आतंकवादियों को मार गिराने वाली टुकड़ी का नेतृत्व करने के लिए यह मेडल मिला है। 2013 में सीआरपीएफ से जुड़े नरेश कुमार को पिछले चार साल में सातवां पदक मिला है, जिसे उन्होंने पुलवामा में आतंकियों के हमले में शहीद हुए अपने सहकर्मी मोहम्द यासीन तेली को समर्पित किया।
उन्होंने कहा, 'मैं अपने दोस्त शहीद मोहम्मद यासीन तेली को अपना पदक समर्पित करता हूं, जो पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के हमले में शहीद हो गए। मेरी टीम और मैंने एक ऑपरेशन में जैश के तीन आतंकियों को मार गिराया था, जिसके लिए मुझे PMG से सम्मानित किया गया है।'
'राष्ट्र पहले'
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान परिजनों की चिंताओं को लेकर भी उन्होंने बात की और बताया कि किस तरह उन्हें बस न्यूज रिपोर्ट से पता चलता है कि वह किसी अभियान पर हैं। नरेश कुमार के मुताबिक, 'ऑपरेशन के दौरान बात करना संभव नहीं होता, लेकिन इसके समाप्त होते ही मैं अपने घरवालों से बात करता हूं। माता-पिता कई बार चिंतित होते हैं, लेकिन राष्ट्र पहले है।'
पंजाब में होशियारपुर के रहने वाले नरेश कुमार को पहला वीरता पदक 2017 में मिला था। वह हाल तक कश्मीर घाटी में त्वरित कार्रवाई टीम (QAT) के प्रमुख रह चुके हैं, जबकि फिलहाल उनकी तैनाती दिल्ली में है। सीआरपीएफ में उनकी पहचान युद्ध के मैदान में बेहद तेज और अदम्य साहस वाले अधिकारी के तौर पर है।