एकनाथ शिंदे जब अपने साथ करीब 26 विधायकों को लेकर गुजरात पहुंचे और उद्धव सरकार को भनक नहीं लगी तो यह साफ हो गया कि बड़ा खेल हो चुका है। उद्धव ठाकरे की कुर्सी कब तक सलामत रहती वो सिर्फ समय की बात थी। लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि पार्टी किसकी होगी। क्या उद्धव ठाकरे पार्टी से भी हाथ धो बैठेंगे। दरअसल इस सवाल का जवाब 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से जुड़ा है। लेकिन उससे ठीक पहले शिवसेना के 12 सांसदों ने बैठक की और संकेत दिया कि मामला सिर्फ विधायकों के असंतोष तक सीमित नहीं बल्कि उससे आगे भी बढ़ चुका है। इन सबके बीच शिवसेना के 12 सांसदों को गृहमंत्रालय की तरफ से वाई कैटिगरी सुरक्षा प्रदान की गई है।
Maharashtra की सियासी हलचल में अभी पूर्ण विराम लगता नजर नहीं आ रहा है | Eknath Shinde गुट के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर को नेता बदलने की मांग को लेकर चिट्ठी लिखी है। सांसद हेमंत गोडसे ने कहा कि हमने राहुल शेवाले को नेता बनाने की मांग की है। बताया जा रहा है कि शिवसेना के 12 सांसद अलग गुट बना सकते हैं।
शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि जिन लोगों के सदस्यता खुद खतरे में पड़ी हुई है, वो बड़े बड़े फैसले कर रहे हैं सबसे पहले 20 जुलाई का इंतजार करना चाहिए जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। उन्होंने कहा कि जो लोग सत्ता के लालच में पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।