- दुबई में दो भारतीय युवाओं की फ्लाइट अंतिम समय में छूट गई थी
- इससे उन्हें घोर निराशा हुई थी, लेकिन अब वे ईश्वर का शुक्रिया करते नहीं थक रहे
- जब उन्हें क्रैश के बारे में पता चला तो एहसास हुआ कि वे किस खतरे से बच गए
दुबई : अंतिम समय पर एअर इंडिया एक्सप्रेस के शुक्रवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में सवार होने से वंचित रह गए दो भारतीय इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। यह विमान शुक्रवार को केरल के कोझिकोड में भीषण दुर्घटना का शिकार हो गया और उसमें सवार कम से कम 18 लोग मारे गए। बोइंग 737 विमान शुक्रवार शाम सात बजकर 41 मिनट पर केरल के कोझिकोड में हवाईपट्टी से फिसल गया था। विमान में 10 नवजात शिशुओं समेत 184 यात्री, दो पायलट और चालक दल के चार सदस्य थे। इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है।
कम पड़ गई थी जुर्माने की राशि
शारजाह के एक स्कूल में ऑफिस ब्वॉय का काम करने वाले अजमान के निवासी नोफाल मोईन वेट्टन ने विमान का टिकट बुक करवाया था और निर्धारित समय के अनुसार चेक इन भी कर लिया था। उस विमान में चमत्कारिक रूप से सवार होने से रह गए मल्लापुरम के वेट्टन का एक हफ्ते पहले वीजा रद्द हो गया था। उन्होंने गल्फ न्यूज को बताया, 'मुझे मेरा बोर्डिंग पास मिल गया था, लेकिन जब मैं आव्रजन काउंटर पर पहुंचा तो उन्होंने बताया कि मुझे तय समय से अधिक वक्त तक रुकने के कारण 20,430 रुपये अदा करने होंगे, लेकिन मेरे पास केवल 10,215 रुपये ही थे।'
उन्होंने बताया, 'मैंने अपने स्कूल के पीआरओ को फोन लगाया तो उन्होंने मुझे लौट आने को कहा। उन्होंने कहा कि वह नियमों का पालन करेंगे और मुझे भेजने से पहले जुर्माना भरेंगे।' वेट्टन बड़े निराश हुए और उन्होंने फोन करके इस बारे में अपने परिवार को सूचित कर दिया। उन्होंने कहा, 'जब मुझे दुर्घटना के बारे में पता चला तो सभी यात्रियों के लिए मुझे बहुत दुख हुआ। लेकिन इस बात से बड़ी राहत मिली कि मेरा विमान छूट गया। अल्लाह बहुत दयालु है।'
...जब विमान से उतार दिया गया सामान
अबु धाबी के रहने वाले अफसल पर्राकोडन भी खुशकिस्मत रहे। उन्होंने बताया, 'हफ्ते भर पहले मेरा कामकाजी वीजा खत्म हो गया था। बोर्डिंग पास मिलने के बाद बताया गया कि मुझे आव्रजन काउंटर पर 1,000 दिरहम (20,430 रुपये) अदा करने होंगे लेकिन तब मेरे पास केवल 500 दिरहम (10,215 रुपये) ही थे। मैं विमान में चढ़ना चाहता था और अपने परिवार के पास पहुंचना चाहता था, इसलिए मैंने अपने एक दोस्त को फोन लगाया और वह मेरे लिए 500 दिरहम ले आया। लेकिन तब तक मेरा सामान विमान से उतार दिया गया था और विमान के दरवाजे बंद हो चुके थे।'
पर्राकोडन ने बताया, 'मैं बहुत दुखी था और मां को फोन कर बताया कि मेरा विमान छूट गया है। लेकिन कुछ घंटे बाद विमान दुर्घटना के बारे में पता चला। मेरा जीवन बचाने के लिए मैंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया।'