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तो इसलिए चीन के सुर में आई नरमी, डोभाल-जयशंकर की भूमिका से भारत को मिली 'कूटनीतिक जीत'

Updated Feb 09, 2021 | 12:27 IST

India’s diplomatic win Over China in Ladakh: सैन्य स्तर पर शीर्ष स्तर की वार्ता के साथ-साथ सरकार कूटनीतिक मोर्चे पर भी लगातार सक्रिय थी। कूटनीतिक मोर्चे का जिम्मा खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर संभाल रहे थे।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
भारत के कूटनीतिक प्रयासों से चीन के सुर हुए नरम।
मुख्य बातें
  • पिछले कुछ दिनों से लद्दाख में भारत और चीन की फौज आमने-सामने है
  • भारत के कूटनीतिक प्रयासों के बाद चीन को नरम करने पड़े अपने सुर
  • कूटनीतिक जीत में एस जयशंकर और अजीत डोभाल की भूमिका अहम

नई दिल्ली : लद्दाख में पिछले कुछ दिनों से जारी गतिरोध तोड़ने में एक बड़ी उम्मीद तब जगी जब चीन ने बुधवार को कहा कि सीमा पर 'शांति है और स्थिति नियंत्रण में है।' सीमा पर लगातार आक्रामक तेवर दिखा रहे चीन के सुर में अचानक आई नरमी ने सभी को हैरान कर दिया। दरअसल, चीन का यह 'हृदय परिवर्तन' यूं ही नहीं हुआ बल्कि भारत के जोरदार कूटनीतिक प्रयासों के चलते उसे अपनी जिद छोड़नी पड़ी और शांति एवं सद्भाव की भाषा बोलने पड़ी।  सीमा पर बने इस गतिरोध को तोड़ने के लिए 'डोकलाम टीम' ने लगातार काम किया। चीन के सुर नरम करने में इस टीम में शामिल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की बड़ी भूमिका उभरकर सामने आई है। 

बीजिंग में विदेश मंत्री की कई दफे हुई बातचीत
बताया जा रहा है कि सैन्य स्तर पर शीर्ष स्तर की वार्ता के साथ-साथ सरकार कूटनीतिक मोर्चे पर भी लगातार सक्रिय थी। कूटनीतिक मोर्चे का जिम्मा खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए डोभाल संभाल रहे थे। टाइम्स नाउ को मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दो दिनों में जयशंकर की हॉटलाइन पर बीजिंग में कई दफे बातचीत हुई। इस बातचीत में लद्दाख में बने गतिरोध को तोड़ने और उससे बाहर निकलने के रास्ते की तलाश हुई। इस दौरन सरकार भी कई मोर्चों पर लगातार सक्रिय रही। जबकि डोभाल इस मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी को पल-पल का अपडेट दे रहे थे। चीन के साथ शीर्ष सैन्य स्तर पर बातचीत चलती रही पीछे के दरवाजे से कूटनीति भी जारी रही। दोनों के समन्वित प्रयासों से इस तनाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिली। इसे भारत की डिप्लोमेसी की जीत बताया जा रहा है। 

ट्रंप ने भी किया ट्वीट
दोनों देशों के इस तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ट्वीट किया। ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देश के बीच मध्‍यस्‍थता के लिए तैयार हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस बारे में उन्‍होंने दोनों पक्षों को सूचित किया है। अमेरिका पहले भी इस मामले में बयान देकर चीन पर एक तरीके से दबाव बना चुका था। मामले को तूल पकड़ता देख चीन को कहीं न कहीं अपनी गलती का अहसास हुआ। ऐसे में यह मामला अगर और बढ़ता तो उसके लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव को झेल पाना मुश्किल होता। कोविड-19 के मामले में वह पहले से ही दुनिया के निशाने पर है। एक और मोर्चे पर वह घिरकर अपनी किरकिरी नहीं कराना चाहता। 

दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने बयान किया जारी
भारत के कूटनीतिक प्रयासों का असर यह हुआ कि दिल्ली स्थित चीनी दूतावास को सीमा पर तनाव मामले में बयान जारी करना पड़ा। चीन के राजदूत सुन वेडॉन्ग ने कहा कि दोनों देशों को चाहिए कि वे अपने मतभेदों को आपसी रिश्ते पर हावी न होने दें। हमें बातचीत के जरिए मतभेदों का हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारत और चीन दोनों कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें अपने संबंधों को और मजबूत बनाना है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी रिश्ते की इस गरमाहट को महसूस कर सके।'  
 

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