- नेशनल वार मेमोरियल की ज्योति के साथ अमर जवान ज्योति का विलय होगा
- कांग्रेस ने ज्योति बुझाने का आरोप लगाय
- सरकार ने कहा कि ज्योति बुझाई नहीं बल्कि विलय की जा रही है।
अमर जवान ज्योति का विलय नेशनल वार मेमोरियल की ज्योति से किया जाएगा। लेकिन अब इस पर विवाद है, कांग्रेस का कहना है कि पांच दशक से जो लौ जल रही थी उसे बुझाया जा रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा जब सरकार में आएंगे तो उस ज्योति को फिर से जलाएंगे हालांकि सरकार की तरफ से बयान आया है कि ज्योति बुझाई नहीं बल्कि उसका विलय किया जा रहा है। इस विषय पर राजनीतिक बयानबाजी के बीच रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति गांधी खानदान के निकम्मेपन और सेना के जवानों के बलिदान के प्रति लापरवाही का प्रतीक थाखुद के लिए बड़ी बड़ी समाधियां और सेना के लिए अंग्रेजो के बनाये इंडिया गेट के नीचे ज्योति रख कर काम चलाना अब अमर जवान ज्योति को सही सम्मानजनक स्थान मिल रहा है
आरजेडी सांसद का बयान
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह समझ में आता है कि वर्तमान शासन में 'अतीत की महिमा' के साथ लगाव की भावना नहीं हो सकती है, लेकिन जब आप ऐसी 'स्मृति मिटाने' की रणनीति का सहारा लेते हैं तो यह समझ से परे है। यह न तो अच्छी राजनीति है और न ही अच्छा प्रकाशिकी।
मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान
आरएसएस सैद्धांतिक रूप से शहादत को आदर्श नहीं बल्कि एक घातक दोष मानता है। यहाँ, गोलवलकर के "बंच ऑफ़ थॉट्स" के अंश, जिन्हें अब उनकी वेबसाइट से हटा लिया गया है।यही कारण है कि मोदी सरकार आज आधी सदी के बाद अमर जवान ज्योति को बुझा रही है।
मनीष तिवारी क्या बोले
अमर जवान ज्योति को नमन करके हम बड़े हुए ये क्या करना चाहती है सरकार? ये राष्ट्रीय आपदा है।राष्ट्रपति को इसमे हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि वो सभी सेना के प्रमुख हैं। दो फ्लेमस नही हो सकते? भारत में कई जगह वॉर मेमोरियल है ये क्या लॉजिक है?3490 शहीद को श्रद्धांजलि देती है ये अमर जवान ज्योति।
अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे।वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा।शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है।
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को बुझाने का भाजपा सरकार का फैसला 1971 के युद्ध के शहीदों का अपमान है; क्या शाश्वत ज्वाला भाजपा की आंखों को परेशान करती है? क्या यह सेंट्रल विस्टा योजनाओं के साथ अच्छी तरह फिट नहीं है? भाजपा को शौर्य की लपटों को बुझाने के बजाय चीन से अपने नागरिकों और सीमाओं को सुरक्षित करने पर ध्यान देना चाहिए।
आप का बयान
मोदी जी आप “न किसान के हैं न जवान के” 1971 के भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानो ने अपनी शहादत दी उनकी याद में 50 वर्षों से ये “अमर जवान ज्योति” जल रही है।आप उस ज्योति को बुझाकर वीर जवानो की शहादत का अपमान कर रहे हैं।ये देश आपको माफ़ नही करेगा।
पूर्व डीजीएमओ विनोद भाटिया का बयान
लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त), पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि आज एक महान अवसर है, इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का (हो रहा है) राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय कर दिया गया है। यह एक अच्छा फैसला है। अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में मिलाने का समय आ गया है।
शाश्वत ज्वाला का विलय
मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की शाश्वत ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) में मिला दिया जा रहा है। किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने एनडब्ल्यूएम के डिजाइन चयन और निर्माण को आगे बढ़ाया था, मैं हमेशा से इस दृष्टिकोण का रहा हूं।
रक्षा जानकारों का बयान
पूर्व आर्मी चीफ विपिन मलिक ने कहा कि अब स्वाभाविक बात यह है कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना हो चुकी है और कार्रवाई में मारे गए सैनिकों के स्मरण और सम्मान से संबंधित सभी समारोह वहां आयोजित किए जा रहे हैं।
सरकार का पक्ष
अमर जवान ज्योति की लौ को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं।यहाँ सही दृष्टिकोण है:अमर जवान ज्योति की लौ बुझ नहीं रही है। इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ज्वाला में विलीन किया जा रहा है।यह देखना अजीब था कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई नाम वहां मौजूद नहीं है।
इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल कुछ शहीदों के हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी और इस प्रकार यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखे गए हैं। इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है।विडम्बना यह है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हमारे शहीदों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं।