नई दिल्ली : किसानों के साथ जारी गतिरोध के बीच केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों एवं उनके फायदे को बताने के लिए 106 पेज की एक बुकलेट जारी की है। इस बुकलेट में नए कृषि कानूनों के बारे में फैलाई जा रहीं 'भ्रांतियों' को दूर करने की कोशिश की गई है। इसमें किसानों को चिंताओं को दूर किया गया है और समय-समय पर इसके हितधारकों के साथ हुए परामर्श के बारे में बताया गया है। साथ ही पिछले छह सालों में किसानों की भलाई के लिए सरकार की ओर से उठाए कदमों की विस्तृत जानकारी दी गई है।
बातचीत से नहीं निकला हल
नए कृषि कानूनों पर किसानों और सरकार के बीच बातचीत पांच दौर की बातचीत हो गई है लेकिन अभी तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकला है। समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार ने बुधवार को एक प्रस्ताव भेजा जिसे किसान संगठनों ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार यदि कोई नया प्रस्ताव भेजती है तो वे उस पर विचार करेंगे।
आंदोलन तेज करेंगे किसान
बातचीत से कोई हल निकलता न देख किसानों ने अपना आंदोलन और तेज करने की बात कही है। किसान संगठनों ने 14 दिसंबर को 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया है। इसके अलावा उन्होंने 12 दिसंबर को बड़े स्तर पर प्रदर्शन की योजना बनाई है। कृषि कानूनों पर गतिरोध नहीं टूटने पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गृह मंत्री के साथ किसानों की बैठक हो चुकी है। किसानों को आशंका है कि नए कृषि कानूनों के लागू हो जाने के बाद सरकारी मंडियां और एमएसपी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। किसानों को आशंका यह भी है कि नए कानूनों से छोटे किसानों को नुकसान होगा और वे कॉरपोरेट की जाल में फंस जाएंगे।
कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति से मिला विपक्ष
कृषि कानूनों के मसले पर विपक्ष सरकार को घेरने लगा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के पांच नेताओं का एक शिष्टमंडल बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला और उन्हें पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, और डीएमके नेता टीकेएस इलंगोवान शामिल थे। इस मुलाकात के बाद राहुल ने कहा कि किसान यदि आज खड़े नहीं हुए तो वे कभी खड़े नहीं हो पाएंगे। विपक्ष उनके साथ है।