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NIA की चार्जशीट से बड़ा खुलासा, सेना में सिख जवानों को उकसा रहा SFJ

Updated Dec 10, 2020 | 08:05 IST

जांच एजेंसी NIA का कहना है कि एसएफजे कश्मीरी युवकों को भी कट्टरता की तरफ ढकेलने की कोशिश करने के साथ साथ कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए अपना समर्थन दे रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
NIA की चार्जशीट से बड़ा खुलासा, सेना में सिख जवानों को उकसा रहा SFJ।
मुख्य बातें
  • एसएफजे के खिलाफ एनआईए ने बुधवार को विशेष कोर्ट में दायर की चार्जशीट
  • जांच एजेंसी का कहना है कि एसएफजे के सदस्य भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं
  • एनआईए ने कहा है कि सेना में सिख जवानों को विद्रोह के लिए उकसा रहा है एसएफजे

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अमेरिका स्थित अलगाववादी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' को लेकर बड़ा खुलास किया है। जांच एजेंसी की ओर से दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि एसएफजे ने अपने खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 'सोची समझी साजिश' की है और वह भारत के खिलाफ विद्रोह के लिए सेना में काम करने वाले सिख जवानों को उकसाने की कोशिश कर रहा है। यही नहीं, वह कश्मीरी युवकों को भी कट्टरता की तरफ ढेकल रहा है।

एनआईए की चार्जशीट में 16 लोगों के नाम
रिपोर्टों के मुताबिक एनआईए ने अपनी चार्जशीट में एसएफजे के लीडर गुरपतवंत सिंह पन्नून, खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर एवं बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख परमजीत सिंह उर्फ पम्मा सहित 16 लोगों को आरोपी बनाया है। जांच एजेंसी का कहना है कि एसएफजे कश्मीरी युवकों को भी कट्टरता की तरफ ढकेलने की कोशिश करने के साथ साथ कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए अपना समर्थन दे रहा है।

किसान आंदोलन का गलत इस्तेमाल कर सकता है एसएफजे
जांच एजेंसी ने यह चार्जशीट ऐसे समय फाइल की है जब देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान के बाहर से संचालित हो रहे एसएफजे एवं अन्य खालिस्तानी संगठन विभाजन के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किसान आंदोलन से उपजे आक्रोश का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि पन्नून, निज्जर और परमजीत 'पम्मा' को गत जुलाई में गैर-कानूनी गतिविधियां रोधक कानून (यूएपीए) के तहत पहले ही 'आतंकवादी' घोषित किया जा चुका है।

भारत के खिलाफ सोशल मीडिया मंचों का कर रहा इस्तेमाल
पन्नून न्यूयॉर्क में, निज्जर कनाडा और 'पम्मा' ब्रिटेन में रहता है। यूएपीए के तहत एसएफजे को 'गैर-कानूनी संस्था' के रूप में प्रतिबंधित किया गया है। एनआईए ने इस संस्था को 'खालिस्तानी आतंकवादी संगठन का एक प्रमुख संगठन' बताया है। एनआईए के सूत्रों का कहना है कि एसफजे फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप एवं यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भारत के खिलाफ अभियान चलाता रहा है। उसने अपने 'रेफरंडम 2020' एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय मोबाइल नंबर्स का इस्तेमाल किया है। 

अलग-अलग देशों में हैं इनके कार्यालय
'रेफरेंडम 2020' केस में एनआईए ने बुधवार को अपनी चार्जशीट विशेष अदालत में दायर की। इसमें एसएफजे के सदस्यों और सहित विदेश स्थित 16 लोगों के नाम हैं। एनआईए ने अपनी जांच में पाया है कि अलगाववादी गुट एसएफजे का गठन 'मानवाधिकार के लिए काम करने वाले समूह' की आड़ में हुआ और इसके कार्यालय अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में हैं। जबकि इसका प्रमुख आतंकवादी संगठन खालिस्तान पाकिस्तान से संचालित हो रहा है।

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