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'महज इतिहास का हिस्‍सा बनकर न रह जाए पार्टी', कांग्रेस में सामने आया एक और 'लेटर बम'

Updated Sep 06, 2020 | 13:10 IST

कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से पत्र में कहा गया है कि वह 'परिवार के मोह' से ऊपर उठें। इसमें पार्टी महासचिव व यूपी मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी पर भी निशाना साधा गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
'महज इतिहास का हिस्‍सा बनकर न रह जाए पार्टी', कांग्रेस में एक और 'लेटर बम', प्र‍ियंका गांधी पर निशाना
मुख्य बातें
  • कांग्रेस में एक और 'लेटर बम' सामने आया है, जिसमें प्रियंका गांधी को भी निशाना बनया गया है
  • कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पत्र में नेताओं ने कहा है कि पार्टी कहीं इतिहास बनकर न जाए
  • इसमें कहा गया है कि अब उन नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो संकट के समय पार्टी के साथ रहे

लखनऊ : कांग्रेस एक और 'लेटर बम' के साथ पार्टी में होने वाले धमाके के लिए तैयार है, इस बार यह उत्तर प्रदेश (यूपी) से है। पिछले साल पार्टी से निष्कासित नौ वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह पार्टी को महज 'इतिहास' का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें।

प्रियंका गांधी वाड्रा, जो कि यूपी की प्रभारी व पार्टी महासचिव हैं, उन्हें परोक्ष रूप से निशाने पर लेते हुए, चार पन्नों के पत्र में सोनिया गांधी से परिवार से ऊपर उठने का आग्रह किया गया है। पत्र में लिखा गया है, 'परिवार के मोह से ऊपर उठें' और पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को पुन:स्‍थापित करें। पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, पूर्व विधायक विनोद चौधरी, भूधर नारायण मिश्रा, नेकचंद पांडे, स्वयं प्रकाश गोस्वामी और संजीव सिंह के दस्तखत वाले पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।

नेतृत्‍व पर सवाल

पत्र में कहा गया है, 'इस बात की आशंका है कि आपको राज्य मामलों के प्रभारी द्वारा मौजूदा स्थिति से अवगत नहीं कराया जा रहा है। हम लगभग एक साल से आपसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट की मांग कर रहे हैं, लेकिन मना कर दिया जाता है। हमने अपने निष्कासन के खिलाफ अपील की थी जो अवैध था लेकिन केंद्रीय अनुशासन समिति को भी हमारी अपील पर विचार करने का समय नहीं मिला।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आगे दावा किया कि पार्टी के पदों पर उन लोगों का कब्जा है जो वेतन के आधार पर काम कर रहे हैं और पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं। पत्र में कहा गया है, 'ये नेता पार्टी की विचारधारा से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यूपी में पार्टी को दिशा देने का काम सौंपा गया है।'

मतभेदों का सामना कर रही है कांग्रेस

इसमें आगे कहा गया है कि ये लोग उन नेताओं के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं जो 1977-80 के संकट के दौरान कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे। लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, अपमानित किया जा रहा है और निकाला जा रहा है। वास्तव में, हमें मीडिया से हमारे निष्कासन के बारे में पता चला था, जो राज्य इकाई में नई कार्य संस्कृति की बात करता है।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी है। इन्होंने आगे कहा कि यूपी में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस निष्क्रिय से हो गए हैं। नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान से वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह मौजूदा मामलों की ओर आंख मूंद लेता है, तो कांग्रेस को यूपी में तगड़ा नुकसान होगा, जो कभी पार्टी का गढ़ हुआ करता था। यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पार्टी उत्तर प्रदेश में पहले से ही गुटबाजी, मतभेदों का सामना कर रही है।
 

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