- भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के लिए कर रही है सर्दियों का इंतजाम
- चीन के साथ यहां चल रहा है बीते कई महीनों से तनाव
- यहां अक्टूबर से जनवरी के बीच तापमान -5 से -25 डिग्री सेल्सियस नीचे तक रहता है तापमान
नई दिल्ली: भारतीय सेना कई दशकों के अपने सबसे बड़े सैन्य भंडारण अभियान के तहत पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग चार महीनों की भीषण सर्दियों के मद्देनजर टैंक, भारी हथियार, गोला-बारूद, ईंधन के साथ ही खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगी हुयी है। सैन्य सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शीर्ष कमांडरों के एक समूह के साथ थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे इस विशाल अभियान में निजी तौर से जुड़े हुए हैं। इसकी शुरूआत जुलाई के मध्य में हुयी थी और अब यह पूरा होने जा रहा है।
बड़ी संख्या में पहुंचाया गया सामान
सूत्रों ने कहा कि खासी संख्या में टी -90 और टी -72 टैंक, तोपों, अन्य सैन्य वाहनों को विभिन्न संवेदनशील इलाकों में पहुंचाया गया है। इस अभियान के तहत सेना ने 16,000 फुट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए बड़ी मात्रा में कपड़े, टेंट, खाद्य सामग्री, संचार उपकरण, ईंधन, हीटर और अन्य वस्तुओं की भी ढुलाई की है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, 'अब तक का यह सबसे बड़ा साजो-सामान (लॉजिस्टिक) अभियान है जो आजादी के बाद लद्दाख में पूरा किया गया है। यह विशाल स्तर पर है।’
अतिरिक्त डिवीजन तैनात
भारत ने किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख में तीन अतिरिक्त सेना डिविजन की तैनाती की है। वहां अक्टूबर से जनवरी के बीच तापमान शून्य से नीचे पांच डिग्री सेल्सियस से शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे के बीच रहता है। सूत्रों ने कहा कि भारत ने यूरोप के कुछ देशों से सर्दियों के कपड़े आदि आयात किए हैं और पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पहले ही उनकी आपूर्ति की जा चुकी है।
सर्दियों की तैयारी पूरी
क्षेत्र में हजारों टन भोजन, ईंधन और अन्य उपकरणों के परिवहन के लिए सी -130 जे सुपर हरक्यूलिस और सी -17 ग्लोबमास्टर सहित भारतीय वायु सेना के लगभग सभी परिवहन विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया गया। भारतीय सेना ने सर्दियों के महीनों में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख क्षेत्रों में सैनिकों की अपनी मौजूदा संख्या को बनाए रखने का फैसला किया है क्योंकि चीन के साथ सीमा विवाद के जल्द समाधान का कोई संकेत नहीं है। भारतीय वायु सेना ने भी वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर रहने का फैसला किया है।