- मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की शिवसेना ने मांग की है
- शिवसेना का कहना है कि रोक के लिए केंद्र सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए
- ओवैसी ने कहा कि 'एंटी मुस्लिम' बात करने पर कोई तथ्यों की परवाह नहीं करता है
मुंबई : मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की शिवसेना की मांग पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेाहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा है कि लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पहले से ही कानून है। एआईएमआईएम नेता का कहना है कि जब आप 'एंटी मुस्लिम' होकर कोई बात कहते हैं तो तथ्यों के बारे में कोई परवाह नहीं करता क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना को 'धर्मनिरपेक्ष' होने का प्रमाणपत्र दे दिया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में पर्यावरण संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण पर अपनी बात रखते हुए केंद्र सरकार से मस्जिदों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है। शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, 'मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को एक अध्यादेश लाना चाहिए।'
ओवैसी ने दी प्रतिक्रिया
शिवसेना की इस मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर पहले से ही कानून मौजूद है। लेकिन जब आप 'एंटी मुस्लिम' होकर कोई बात करते हैं तो तथ्यों के बारे में कोई परवाह नहीं करता। यह 'कट्टरवादी सोच' नहीं है क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना को सेक्युलर होने का प्रमाणपत्र दे दिया और यह याद दिलाने में मुझे जरा भी खुशी नहीं है।'
शिवसेना नेता के बयान पर उठा है विवाद
मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग शिवसेना की तरफ से ऐसे समय की गई है जब पार्टी के मुंबई-दक्षिण विभाग के प्रमुख पी सकपाल ने मुसलमान बच्चों के बीच अजान पढ़ने की प्रतियोगिता कराने का सुझाव दिया था। सकपाल के इस सुझाव पर विवाद खड़ा हो गया। इस विवाद के बीच संपादकीय में यह टिप्पणी की गई है।
शिवसेना ने भाजपा की आलोचना की
संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना नेता द्वारा अजान की प्रशंसा किए जाने की भाजपा द्वारा आलोचना किया जाना ठीक वैसा ही है, जैसा दिल्ली की सीमाओं पर (नए कृषि कानूनों के खिलाफ) प्रदर्शन कर रहे किसानों को 'पाकिस्तानी आतंकवादी' कहना। लेख में कहा गया है प्रदर्शनकारी किसानों में अधिकतर लोग वे हैं जो पूर्व सैनिक रह चुके हैं या जिनके बच्चे देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं।