- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जारी तैयारियों के बीच दिलों की दूरियां भी मिटती दिख रही हैं
- न केवल अयोध्या, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी सभी धर्म व संप्रदाय के लोगों में इसे लेकर खुशी है
- इनमें मोहम्मद आजम भी शामिल हैं, जो अयोध्या में खड़ाऊं बनाने का काम करते हैं
अयोध्या : राम नगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह चरम पर है। इसे लेकर तैयारियों को जहां अंतिम रूप दिया जा चुका है, वहीं भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को देखते हुए सुरक्षा इंतजाम भी पुख्ता किए गए हैं। मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में सभी धर्म व संप्रदाय के लोग खुश हैं, जिन्हें दशकों के विवाद के बाद देशभर में एक बार फिर शांति व भाईचारे की उम्मीद जगी है, जिसके लिए अयोध्या हमेशा से जानी जाती रही है। यहां क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, हर कोई साथ मिलकर इस खास अवसर का जश्न मना रहा है।
'हम साथ काम करते हैं, साथ जश्न मनाते हैं'
इन्हीं लोगों में मोहम्मद आजम भी हैं, जो यहां खड़ाऊं बनाते हें। उन्हें उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद उनके इस उत्पाद की मांग भी बढ़ेगी और उनका कारोबार चल निकलेगा। उनके साथ काम करने वालों में हिन्दू भी शामिल हैं और दोनों साथ मिलकर इस खास मौके को सेलिब्रेट कर रहे हैं। वह कहते हैं, 'कुछ लोग जहां खड़ाऊं की पूजा करते हैं, वहीं संत इसे पहनते हैं। यहां जब लोगों के आने का सिलसिला बढ़ेगा और इसकी मांग भी बढ़ेगी। मेरे साथ काम करने वाला हिन्दू है, हम साथ काम करते हैं और साथ ही जश्न भी मनाते हैं।'
मिटती दिख रही हैं दिलों की दूरियां
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर इसी तरह की खुशी व संतोष देशभर में विभिन्न समुदायों के लोगों में देखी जा रही है, जो दशकों के कानूनी विवाद के बाद अब इसका पटाक्षेप और आपस में मिल-जुलकर और खुशी के साथ रहना चाहते हैं। ऐसे बहुतेरे लोग हैं, जो अलग धर्म में आस्था रखने और अलग तरह की पूजा पद्धति को अपनाने के बाद भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आज होने जा रहे भूमि पूजन के खास अवसर को सेलिब्रेट कर रहे हैं। इनमें फैज खान भी शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ के अपने एक गांव से राम मंदिर निर्माण के लिए ईंट लेकर रवाना हुए।
देशभर में बड़ी संख्या में मुस्लिम श्रद्धालु हैं, जो राम को इमाम-ए-हिन्द और उन राजपूतों का पूर्वज मानते हैं, जिन्होंने कभी इस्लाम अपना लिया था। उनका कहना है, उन्होंने भले ही अलग तरह की पूजा-पद्धति अपना ली, लेकिन इससे उनके पूर्वज नहीं बदल जाते। वे राम को अपना पूर्वज मानते हैं और इसलिए अपने हिन्दू भाइयों के साथ इस खास अवसर को उसी उत्साह के साथ सेलिब्रेट कर रहे हैं।