- 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा, बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों के नेताओं पर आरोप लगे
- 28 साल बाद आडवाणी जोशी और उमा भारती समेत सभी आरोपी बरी
- विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद बीजेपी शासित यूपी, एमपी और राजस्थान की राज्य सरकारें की गई थीं बर्खास्त
Babri Masjid Case Faisla: बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 32 लोगों को बरी कर दिया है। अदालत ने माना कि वो घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। मौके पर जो नेता मौजूद थे वो कारसेवकों से संयमित व्यवहार बरतने की अपील कर रहे थे। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को कपोलकल्पित करार दिया। बता दें कि फैसले के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, लालकृष्ण आडवाणी के घर पहुंचे।
अदालती फैसले पर आडवाणी की प्रतिक्रिया
विशेष अदालत का आज को जो निर्णय हुआ वो अत्यंत महत्वपूर्ण है वो हम सबके लिए बहुत खुशी का विषय है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनका और बीजेपी दोनों का रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रति नजरिया प्रमाणित हुआ है। घर से बाहर निकल कर जय श्रीराम के नारे को बुलंद किया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने दी बधाई
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से साफ है कि देर जरूर हुई। लेकिन सत्य की जीत हुई है। वो अदालती फैसले के बाद सभी 32 लोगों को बधाई देते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर सभी 32 लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर कर बदनाम करने का आरोप लगाया।
अदालत का फैसला ऐतिहासिक- मुरली मनोहर जोशी
सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को मुरली मनोहर जोशी ने ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश की न्याय व्यवस्था में और भरोसा मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष की दलीलें पूरी तरह खारिज हुई है जिसके बारे में वो पहले भी कहा करते थे।
बाबरी मस्जिद केस में अदालत का ऐतिहासिक फैसला
बचाव के पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष की तरफ से जो दलील पेश किए गए उसमें मेरिट नहीं थी। अभियोजन पक्ष की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए वो दोषपूर्ण थे। और उस आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने माना की श्रद्धालुओं को कारसेवक मानना सही नहीं थी। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों ने ढांचा तोड़ा उनमें और आरोपियों के बीच किसी तरह की सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका।
अदालत में क्या हुआ
जज एस के यादव ने कहा कि बाबरी विध्वंस केस पूर्व नियोजित नहीं थी। उन्होंने कहा कि सिर्फ फोटो दिखाना साक्ष्य नहीं हो सकता है। अभियोजन पक्ष की तरफ से दलीले कसौटी पर खरी नहीं उतरती हैं। जज ने कहा कि फोटो दिखाने से कोई आरोपी नहीं हो जाता है। जज ने यह भी कहा कि सीबीआई की तरफ से जांच को जिन बिंदुओं पर केंद्रित किया गया वो अपने आप में दोषपूर्ण था। आडवाणी, जोशी समेत कुल 6 आरोपियों को अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट मिली है, ये लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही में शामिल हुए थे।
2500 पन्नों की चार्जशीट और 351 गवाह
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, महंत नृत्यगोपाल दास अदालती कार्यवाही में सशरीर मौजूद नहीं थे। साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, साक्षी महाराज, ओम प्रकाश पांडेय, जय भगवान गोयल, आचार्य धर्मेंद्र देव, राम जी गुप्ता अदालत में मौजूद हैं। सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को देखते हुए सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे। 2500 पन्नों की चार्जशीट, 351 गवाह और 17 साल तक चली गवाही।
6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था विवादित ढांचा
6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले मामले में लाल कृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह समेत 49 आरोपी बनाए गए थे, जिसमें 17 लोगों की मौत हो चुकी है। सीबीआई की अदालत ने 1 सितंबर तक मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और 2 सितंबर से फैसला लिखने का काम शुरू हो गया था।