नई दिल्ली: 26 जनवरी का आयोजन धूमधाम से होने के बाद 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह (Beating the Retreat) का आयोजन होता है इस बार भी ये पूरे जोशो खरोश के साथ मनाया गया,यह समारोह मुख्य रूप से सेना के अपने बैरक में लौटने का प्रतीक होता है, जिसमें बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाकर उनसे बैंड वापस ले जाने की औपचारिक अनुमति मांगता है।
बीटिंग द रिट्रीट के संपन्न होने के साथ ही चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो जाता है, जो 26 जनवरी से शुरू होता है। इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और कई अन्य सरकारी इमारतों को सुंदर लाइटों से सजाया गया है। भारतीय सशस्त्र बलों के तीन विंगों द्वारा ये समारोह किया जाता है।
दरअसल बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी ब्रिटेन की बेहद पुरानी परंपरा है, जो भारत में 1950 से मनाई जा रही है, जब देश 26 जनवरी को औपचारिक तौर पर गणतंत्र बना।
इस दौरान तीनों सेना- थल सेना, नौ सेना और वायु सेना की धुन एक साथ बजाई जाती है, जो लोगों में जोश भर देती है।
तीनों सेना के विशेषज्ञ ड्रमर्स राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक क्रिश्चिन धुन 'एबाइडिड विद मी' के साथ-साथ कई अन्य धुन बजाते हुए मार्च पास्ट करते हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन की सजावट और बीटिंग द रिट्रीट समारोह को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह चूंकि सेना की बैरक में वापसी का प्रतीक है, इसलिए इसका आयोजन सूर्यास्त के समय होता है। यह उस पुरानी परंपरा की भी याद दिलाता है, जब पारंपरिक युद्ध के दौरान सैनिक दिनभर की जंग के बाद शाम को अपनी बैरकों में लौट जाते थे और रात में आराम करने के बाद अगली सुबह फिर युद्ध की तैयारियों में जाते थे।
इसका वास्तविक नाम 'वॉच सेटिंग' है। 29 जनवरी, 2020 को भी इसका आयोजन शाम में सूरज ढलने के बाद ही किया जाएगा, जिसके लिए तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है। चूंकि सूर्यास्त इन दिनों 6 बजे के आसपास होता है, इसलिए उसी समय इसका आयोजन होगा।
'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में ऊंटों का दस्ता भी शामिल होता है, जो 26 जनवरी को राजपथ पर होने वाले परेड में भी हिस्सा लेते हैं। ऊंटों का ये दस्ता रायसीना हिल पर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में खड़े दिखाई देते हैं। पहले राजपथ पर परेड और फिर विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट में शामिल किए जाने वाले ऊंटों का खूब शृंगार किया जाता है, जिसकी पीठ पर बीएसएफ के जवान बैठे होते हैं।
'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह का समापन बैंड मास्टर द्वारा राष्ट्रपति से बैंड ले जाने की अनुमति लेने के साथ होता है। सेना के बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाकर औपचारिक तौर पर उनसे बैंड को वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही बैंड वापसी के संकेत मिल जाते हैं और फिर राष्ट्रध्वज को उतार लिया जाता है। इस दौरान एक बार फिर से राष्ट्रगान गाया जाता है, जिसकी धुन कार्यक्रम की शुरुआत में भी बजती है। सेना के बैंड आखिर में 'सारे जहां से अच्छा...' की धुन भी बजाते हैं और इसके साथ ही 4 दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक तौर पर समापन हो जाता है।