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सावधान! आप ब्रांडेड शहद का सेवन करते हैं? उसमें है चीनी सिरप की मिलावट

Updated Dec 03, 2020 | 11:57 IST

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने मांग की है कि सरकार को शहद के सेंपल का टेस्ट करना चाहिए और उसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि लोग मिलावटी प्रोडक्ट्स के बारे में जागरूक हो सके।

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ब्रांडेड शहद में मिलावट
मुख्य बातें
  • ब्रांडेड शहद में चीनी सिरप की मिलावट का पता चला
  • शहद के 22 ब्रांड का टेस्ट किया गया, जिसमें 17 ब्रांड फेल हो गए
  • 22 सेंपल में से केवल 5 ही सभी टेस्ट पास हो पाए

नई दिल्ली: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की जांच ने बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड शहद में चीनी सिरप की मौजूदगी का चौंकाने वाला खुलासा किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि शहद की आड़ में चीनी युक्त सिरप का सेवन करने से मोटापा, डायबिटिज, दिल की बीमारियों से लेकर अन्य बीमारियां लोगों के  स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। 

सीएसई स्टडी ने कहा कि  कोविड-19 महामारी के बाद, लोगों ने इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश में बड़ी मात्रा में शहद का सेवन किया। सीएसई के अध्ययन में कहा गया है कि जिन 22 शहद ब्रांडों का टेस्ट किया गया, उनमें 17 ब्रांड के शहद में चीनी सिरप की मात्रा बहुत अधिक मिली हुई थी। जिन्हें मिलावटी माना गया। 

सीएसई जांच ने आगे दावा किया कि सुगर सिरप का निर्माण भारत में एक चीनी कंपनी द्वारा किया गया और इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि यह पता लगाना मुश्किल होता है। परमाणु चुंबकीय अनुनाद (NMR) का उपयोग करके टेस्ट किए जाने पर ही मिलावट का पता लगाया जा सकता है।

डायटिशियन स्वाति समाद्दर के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने चीनी के सेवन नहीं करने की सलाह दी है अगर आपमें किसी तरह संक्रमण का पता चलता है। शहद में चीनी मिलावट करना उपभोक्ताओं के विश्वास का आपराधिक उल्लंघन है, जो शहद का सेवन करते हैं। 

22 नमूनों में से, सीएसई स्टडी ने कहा कि केवल 5 ने सभी टेस्ट पास किए। इसने कहा कि प्रमुख ब्रांड एनएमआर टेस्ट में फेल साबित हुए। सीएसई ने चीन से सिरप और शहद आयात करने और सार्वजनिक टेस्ट के माध्यम से भारत में प्रवर्तन को मजबूत करने का आह्वान किया है ताकि कंपनियों को जवाबदेह बनाया जा सके।

इसने सरकार से उन्नत तकनीकों का उपयोग करके नमूनों का टेस्ट करने और परिणामों को सार्वजनिक करने का भी आह्वान किया है ताकि लोगों को निष्कर्षों के बारे में पता चले और उनके स्वास्थ्य से समझौता न हो।

सीएसई ने यह भी मांग की है कि प्रत्येक कंपनी को मधुमक्खी के छत्ते से शहद की उत्पत्ति का पता लगाना चाहिए।

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