नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड-19 के दैनिक मामलों में नवंबर की शुरुआत से उछाल के बाद अब गिरावट देखी जा रही है। जहां दैनिक मामलों की संख्या 7,000 के आसपास थी, अब ये औसतन 3,500 से नीचे आ गई है। लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन कोरोनावायरस का अगला 'सुपरस्प्रेडर' हो सकता है। एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है। दिल्ली की सीमाओं पर पहले से ही विरोध कर रहे 3,00,000 से अधिक किसानों के साथ, भारत के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं। नई रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली में विरोध स्थल पर 40 से अधिक किसानों में कोविड के लक्षण दिख रहे हैं, जैसे कि तेज बुखार, खांसी और थकान। ये लोग कोविड का टेस्ट करवाने से भी मना कर रहे हैं।
लोकल सर्किल्स ने दिल्ली में किसानों के आंदोलन को लेकर नागरिकों की राय को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया है, और उनसे ये भी पूछा है कि मंगलवार को भारत बंद के बारे में वे क्या सोचते हैं। सर्वे में भारत के 211 जिलों में 17,000 से अधिक लोगों की राय पूछी गई। बता दें कि कृषि कानूनों विरोध में किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, जिसे कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया है।
पूछे गए सवालों में से एक है- "क्या आप मानते हैं कि किसान 8 दिसंबर को दिल्ली को जोड़ने वाली सभी सड़कों और टोल प्लाजा को बंद कर और भारत बंद का आह्वान कर सही कर रहे हैं?" इस प्रश्न को 8,837 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें 77 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि किसानों की आवाज सुनने के लिए बंद सही तरीका नहीं है। बंद से आम नागरिकों को कई तरह की असुविधाएं होती हैं और यदि इतिहास को देखें तो अतीत में राजनीतिक दलों को बंद से कुछ खास हासिल नहीं हुआ है।
जैसा कि कोविड-19 महामारी अभी भी है, देश में रोजाना 30,000-45,000 के बीच नए मामले आ रहे हैं। सर्वे में एक अन्य सवाल जो नागरिकों से पूछा गया- "क्या आप मानते हैं कि किसानों का विरोध प्रदर्शन कोविड-19 संक्रमण को और फैलाएगा?" इस पर 85 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन से कोविड-19 और फैलेगा। 43 फीसदी ने कहा कि यह कोविड-19 के प्रसार को और ज्यादा बढ़ा देगा।
रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रदर्शनकारी किसानों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि कोविड उन्हें बहुत कुछ नहीं कर सकता और नए कृषि कानूनों का प्रभाव कोविड की तुलना में ज्यादा बुरा होगा। दूसरी ओर नागरिकों का मानना है कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें इस बात की भी चिंता है कि विरोध स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का उपयोग और साफ सफाई का उल्लंघन हो रहा है। नागरिकों को यह भी चिंता है कि कई प्रदर्शनकारी किसान वायरस को अपने साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और भारत के विभिन्न राज्यों में ले जा सकते हैं।