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Guandao: गुआनदाओ से लैस थे चीनी सैनिक, जानिए इस घातक मध्ययुगीन हथियार के बारे में

Updated Sep 09, 2020 | 16:01 IST

Guandao: 7 सितंबर की शाम को पूर्वी लद्दाख में भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे चीनी सैनिक छड़, भाले और गुआनदाओ आदि धारदार हथियार से लैस थे। जानें आखिर क्या है गुआनदाओ।

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हथियारों से लैस चीनी सैनिक
मुख्य बातें
  • LAC पर धारदार हथियार लेकर आयी थी चीनी सेना
  • चीनी सैनिक गुआनदाओ लेकर आए थे, जो कि परंपरागत चीनी हथियार है
  • ये हथियार कई आकृतियों और आकारों में आता है

नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिक बार-बार भारतीय सैनिकों को उकसाने की कार्रवाई कर रहे हैं। 7 सितंबर को भी स्पष्ट रूप से भारतीय सैनिकों को भड़काने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को डराने के प्रयास में हवा में कुछ राउंड गोलियां भी चलाईं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 50 सैनिक सोमवार की शाम पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी चोटी के पास स्थित भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे थे। वे छड़, भाले और रॉड आदि से लैस थे।

चीन के सैनिकों ने छड़, भाले और 'गुआनदाओ' आदि हथियार ले रखे थे। 'गुआनदाओ' एक तरह का चीनी हथियार है जिसका इस्तेमाल चीनी मार्शल आर्ट के कुछ स्वरूपों में किया जाता है। इसके ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है। इससे पहले चीन के सैनिकों ने 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि चीन की सेना ने योजना बनाई हो कि सोमवार शाम भारतीय सेना को उसी तरह की झड़प में फंसाया जाए जैसी झड़प गलवान घाटी में हुई थी। जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है। इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी। 

गुआनदाओ- एक घातक मध्ययुगीन हथियार

गुआनदाओ एक परंपरागत चीनी हथियार है जिसे चीनी मार्शल आर्ट में प्रयुक्त किया जाता है। किंवदंती है कि इस धातक हथियार का नाम चीनी जनरल गुआन यू के नाम पर रखा गया था, जो लगभग 2,000 साल पहले थे। हालांकि, हथियार का पहला प्रलेखित उपयोग 11वीं शताब्दी से पहले का है। ये कई आकृतियों और आकारों में होता है। इसमें एक लंबी धातु या लकड़ी के डंडे पर ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है। इसका उपयोग सदियों से हो रहा है। ये काफी घातक साबित हो सकता है। मध्ययुगीन और प्राचीन चीनी हथियारों में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है और स्टाइलिश रूप से सजावटी गुआनदाओ ऑनलाइन उपलब्ध हैं। 

लेकिन यह बहुत संभव है कि पीएलए द्वारा इस्तेमाल किए गए गुआनदाओ का प्रकार पुडाओ (अटैक ब्लेड) के करीब हो, जिसका वजन मध्ययुगीन गुआनदाओ के एक तिहाई से कम हो और कम प्रभावी हो।

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