- मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट बरकरार, कमलनाथ सरकार को विश्वासमत हासिल करने का आज फिर दिया समय
- सीएम कमलनाथ बोले, जिसे सरकार के बहुमत पर भरोसा नहीं वो लाएं अविश्वासमत प्रस्ताव
- कांग्रेस के बागी विधायक बोले- किसी ने भी नहीं बनाया है बंधक, वो अपनी मर्जी से बेंगलुरु में हैं।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध बरकरार है। सोमवार को सीएम कमलनाथ से विश्वासमत हासिल करने के लिए राज्यपाल ने कहा था। लेकिन संक्षिप्त अभिभाषण के बाद गवर्नर एन पी प्रजापति ने सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। स्पीकर के इस फैसले के बाद बीजेपी ने अपने सभी विधायकों की राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड करा दी। राज्यपाल ने कहा कि संविधान के नियमों के पालन की जिम्मेदारी हर किसी की है और वो अन्याय नहीं होने देंगे। इसके बाद सोमवार शाम को सीएम कमलनाथ को एक और खत लिखा गया जिसमें बहुमत साबित करने के लिए मंगलवार का समय दिया गया।
Madhya Pradesh Politicakl crisis :
बागी विधायक बोले- किसी ने नहीं बनाया है बंधक
बागी विधायकों ने कहा कि कमलनाथ जी सिर्फ छिंडवाड़ा के सीएम बन कर रह गए हैं। जहां तक बंधक बनाए जाने की बात है, उन्हें किसी ने बंधक नहीं बनाया है, वो अपनी मर्जी से आए हैं। वो लोग स्वतंत्र हैं और स्वतंत्र रहेंगे। इसके साथ ही यह भी कहा कि सिंधिया जी उनके नेता हैं। लेकिन बीजेपी में जाने पर फैसला नहीं हुआ है।
कांग्रेस के बागी विधायकों का दर्द
बेंगलुरु में कांग्रेस के 16 बागी विधायकों में से एक गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि कमलनाथ जी ने कभी 15 मिनट भी हमारी बातों को नहीं सुना। ऐसे में हम लोग किसके पास जाते अपने विधानसभा में विकास कार्यों के लिए किससे बात करते।
मंगलावर को क्या होना है
राज्यपाल के खत के बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि उनकी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। जिन लोगों को सरकार के स्थायित्व पर शक है वो हमारी सरकार के खिलाफ अविश्वास मत लाएं। इस बीच पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। बीजेपी ने सोमवार को कहा था कि एक ऐसी सरकार इस समय मध्य प्रदेश में शासन कर रही है जिसके पास जनता का विश्वास नहीं है।
सोमवार को क्या हुआ था।
अगर सोमवार की बात करें तो बीजेपी के 106 विधायक गुड़गांव से भोपाल पहुंचे। राज्यपाल लालजी टंडन ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था लेकिन स्पीकर एन पी प्रजापति ने इसे कार्यसूची में नहीं शामिल किया था। जब सदन में बजट सत्र पर राज्यपाल अभिभाषण दे रहे थे तभी हंगामा होने लगा। राज्यपाल लालजी टंडन की तरफ से जब शांति की अपील की गई तो हंगामा बंद नहीं हुआ। हंगामे के बीच स्पीकर ने कोरोना का हवाला देकर सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया।