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कोरोना संकट पर विपक्ष की महाबैठक आज, सोनिया, पवार और उद्धव समेत 18 दलों के नेता होंगे शामिल

Updated May 22, 2020 | 06:53 IST

Meeting of opposition parties: कोरोना संकट पर विपक्ष के नेताओं की एक बड़ी बैठक शुक्रवार को 3 बजे होगी। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।

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कोरोना संकट पर विपक्ष की महाबैठक आज, उद्धव भी होंगे शामिल
मुख्य बातें
  • कोरोना संकट के बीच पर आज होगी विपक्ष की बड़ी बैठक, 18 दलों के नेता होंगे शामिल
  • हेमंत सोरेन, शरद पवार, एमके स्टालिन समेत 18 राजनीतिक दलों के नेता लेंगे भाग
  • बैठक में कोरोना और लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर होगी बात

नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्षी दलों की एक बैठक होने जा रही है। इस बैठक में शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित 18 दलों के नेता भाग लेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होने वाली इस बैठक में प्रवासी मजदूरों की स्थिति और कोरोना संकट के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों तथा आर्थिक पैकेज को लेकर चर्चा हो सकती है।

सपा-बसपा को लेकर संशय

 समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं इसे लेकर अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। यह बैठक शाम तीन बजे शुरू होगी। दरअसल कोरोना संकट की वजह से बीते 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन जारी है जिस वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर अपने घर पहुंचे। कई जगहों पर हुई दुर्घटनाओं में कई मजदूरों की मौत भी हो गई है। इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार को कटघरे में खड़ा करते राह है और सरकार पर विफल होने का आरोप लगाता रहा है।

कई मुद्दों पर होगी चर्चा

आज की इस बैठक में इसे लेकर भी प्रमुखता से बात हो सकती है। इसके अलावा कोरोना संकट से जूझ रहे राज्यों की हालत को लेकर भी चर्चा की जा सकती है। वहीं चक्रवाती तूफान अम्फान की वजह से हुए नुकसान को लेकर भी चर्चा की जाएगी। लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच शायद यह पहला मौका होगा जब इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी नेता बैठक कर रहे हैं।

पहली बार हिस्सा लेंगे उद्धव

उद्धव ठाकरे, जिनकी पार्टी शिवसेना 35 साल से भाजपा की सहयोगी थी, वह पहली बार विपक्षा की इस एकजुट बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक अप्रैल में होने वाली थी लेकिन कुछ पार्टियां - विशेष रूप से शरद पवार की राकांपा - इसे टालने की इच्छुक थी, लेकिन अंत में सबने स्वीकार किया कि मोदी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों को देखते हुए यह बैठक जरूरी है।

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