नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को एक बार फिर से करारी हार का सामना करना पड़ा है,पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। खास बात ये है कि 70 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने 66 पर चुनाव लड़ा था उसमें से उसके 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई,ये पार्टी के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति है और इसी की जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
बताया जा रहा है पार्टी 66 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें से गांधी नगर, बादली और कस्तूरबा नगर को छोड़कर बाकी 63 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं।
कांग्रेस 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में भी खाता नहीं खोल पाई थी वही स्थिति इस बार फिर से हुई और ये देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए बेहद ही असहज कर देने वाली स्थिति है।
यहां तक कि चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा भी अपनी जमानत को नहीं बचा पाईं जबकि वो क्लोज फाइट देने का दावा कर रही थीं। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर भी खासा घटा है।
वहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता ने आलाकमान के खिलााफ सुर खोल दिए थे, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा था, दिल्ली में हमें फिर से शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा। बहुत आत्ममंथन हो चुका अब एक्शन लेने का समय आ गया है..
कांग्रेस की यह हालत हो जाएगी, इसकी उम्मीद शायद ही किसी को रही होगी। कभी शीला दीक्षित दिल्ली का चेहरा हुआ करती थीं। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन किया लेकिन सक्रिय राजनीति से दीक्षित के ओझल होने और फिर उनके निधन के बाद कांग्रेस दिल्ली में एकदम बेदम हो गई।
विधानसभा के दो लगातार चुनाव में कांग्रेस का बदहाल प्रदर्शन उसकी डवांडोल हालत को दर्शाता है।
शीला दीक्षित साल 1998 से 2013 तक लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और इस दौरान उन्होंने दिल्ली की काया पलटते हुए उसे विश्वस्तरीय राजधानियों में शुमार किया।