नयी दिल्ली:आम आदमी से जुड़े मुद्दों और विकास के एजेंडे के साथ राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता में लौटे हैं तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा।केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 सीटों में 63 सीटों पर जीत दर्ज करने की ओर बढ़ रही है, जबकि बीजेपी सात सीटों पर आगे है।
प्रधानमंत्री ने दिल्ली की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए केजरीवाल को शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘‘दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के लिए आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल जी को बधाई...
वहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पार्टी दिल्ली के लोगों द्वारा दिए गए जनादेश को स्वीकार करती है और वह सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी साथ ही उन्होंने साफ किया कि इस जनादेश को स्वीकारते हुए रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।
वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे आने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि दिल्ली की जनता का जनादेश को मैं सर माथे रखता हूं। अरविंद केजरीवाल को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि हम अपनी हार की समीक्षा करेंगे। मैं अपने कार्यकर्ताओं को कड़ी मेहनत करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत की। हम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। जब आपके मन के हिसाब से नतीजे नहीं आते हैं तो निराशा होती है। हालांकि बीजेपी को 2015 के अपेक्षा इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। हम अपने सभी कार्यकर्ताओं को कहना चाहूंगा कि निराश होने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में नए युग की शुरुआत देखा गया है। दो दलों के बीच ही मुकाबला होता है। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस लुप्तप्राय हो गई है। केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि हम आशा करेंगे कि वे दिल्ली का काम करेंगे। हम सबका साथ और सबका विकास की राजनीति करते हैं। हम नफरत की राजनीति नहीं करते हैं।
आम आदमी पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली में सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव (2015) में आम आदमी पार्टी (आप) को कुल 70 में 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
केजरीवाल वर्ष 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और उस चुनाव में आप ने सिर्फ 28 सीटों पर जीत हासिल की थी और उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, उनकी यह सरकार केवल 49 दिनों तक ही चल पाई थी।